भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज और महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने हाल ही में इस बात के लिए आवाज उठाई थी कि अगर LBW के मामले में DRS लिया जाता है और गेंद का 5 फीसदी हिस्सा भी स्टंप्स से टकराता है तो फिर खिलाड़ी को आउट दिया जाना चाहिए। इसमें अंपायर्स कॉल या ऑन फील्ड अंपायर के फैसले पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि, पूर्व क्रिकेटर और मौजूदा कॉमेंटेटर आकाश चोपड़ा इस बात से सहमत नहीं हैं।
आकाश चोपड़ा ने अपने यूट्यूब चैनल पर बात करते हुए अपना पक्ष रखा है और बताया है कि वे सचिन तेंदुलकर के LBW वाले DRS के फैसले से पूरी तरह से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि DRS में कुछ बदलाव तो होने चाहिए, लेकिन उतना बदलाव नहीं, जितना सचिन पाजी मानते हैं। आकाश चोपड़ा ने कहा है, “मैं मानता हूं कि LBW के मामले में अगर गेंद का 50 फीसदी हिस्सा स्टंप्स से टकराता है तभी खिलाड़ी को आउट दिया जाना चाहिए।”
आकाश चोपड़ा ने ये भी तर्क दिया है कि खुद डीआरएस के लिए ट्राजेक्ट्री और हॉक-आई की टेक्नोलॉजी पर काम करने वाले लोग भी मानते हैं कि ये सटीक तो बिल्कुल है, लेकिन पूरी तरह से ये आंकलन होता है। इसलिए आकाश चोपड़ा कहते हैं, “टेनिस, बैडमिंटन और फुटबॉल में सिर्फ गेंद या फिर कॉक को देखा जाता है, लेकिन यहां गेंद आपको सिर्फ पैड तक दिखती है और आगे का आंकलन ट्राजेक्ट्री के जरिए होता है। ऐसे में यह 100 फीसदी सही नहीं है।”
भारतीय टीम के पूर्व ओपनर चोपड़ा ने ये भी बताया है कि बदलाव कहां होना जरूरी है। उन्होंने कहा है, “मैं LBW के DRS के बदलाव के उस पहलू का समर्थन करता हूं, जिसमें अंपायर्स कॉल होती है। अगर आपने आउट दिया है और डीआरएस में दिखता है कि गेंद का 20 फीसदी हिस्सा स्टंप्स से लगा है तो खिलाड़ी आउट होता है, लेकिन आउट नहीं देने पर अगर फील्डिंग करने वाली टीम रिव्यु मांगती है और गेंद का 40 फीसदी हिस्सा भी विकेट से टकराता है तो अंपायर्स कॉल के तहत उसे आउट नहीं दिया जाता।” यही कारण है कि आकाश चोपड़ा कहते हैं कि इसमें बदलाव होना चाहिए।