पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने इस आशय का पत्र सभी समाचार चैनलों को भेजा है. पत्र में पार्टी का पक्ष रखने के लिए किसी भी पदाधिकारी को आमंत्रित नहीं करने का अनुरोध किया गया है. पत्र की प्रतिलिपि सभी प्रवक्ता्ओं को भी भेजी गई है. गौरतलब है कि 27 अगस्त 2018 को पार्टी ने 2 दर्जन प्रवक्ताओं की भारी-भरकम टीम बनाई थी.
इसमें राजीव राय, जूही सिंह, नावेद सिद्दीकी, जगदेव सिंह यादव, उदयवीर सिंह, घनश्याम तिवारी, सुनील सिंह यादव, संजय लाठर, सैय्यद अब्बास अली उर्फ रूश्दी मियां, राजपाल कश्यप, वंदना सिंह, शवेंद्र विक्रम सिंह, नासिर सलीम, अनुराग भदौरिया, अब्दुल हफीज गांधी, पवन पांडेय, प्रोफेसर अली खान, निधि यादव, राजकुमार भाटी, ऋचा सिंह, मनोज राय धुपचंडी, जितेंद्र उर्फ जीतू, फैजान अली किदवई और राम प्रताप सिंह शामिल थे. तब प्रवक्ता पद से हटाए जाने के बाद पंखुड़ी पाठक ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था.
2014 से भी कम वोट शेयर पर सिमटी सपा
यूपी की सियासत में कभी अपनी मुख्य प्रतिद्वंदी रही बसपा से गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी सपा को बेहतर प्रदर्शन की आस थी. लेकिन परिणाम ठीक उलट रहा. लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा. पार्टी 2014 से भी कम वोट शेयर पर सिमट गई.
2014 में सपा ने 22.35 वोट शेयर के साथ 5 सीटें जीती थीं, वहीं इस बार पार्टी का वोट शेयर 4 फीसदी से अधिक की कमी के साथ 17.96 फीसदी पर पहुंच गया. पार्टी 5 सीटें जीतने में सफल रही. मैनपुरी में संरक्षक मुलायम सिंह यादव और आजमगढ़ से अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बड़ी जीत दर्ज कर पार्टी की प्रतिष्ठा बचा ली. मुलायम ने मैनपुरी में अपने प्रतिद्वंदी उम्मीदवार भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य को 94389 मतों के अंतर से हराया. वहीं अखिलेश यादव ने आजमगढ़ में भोजपुरी फिल्म स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को 259874 वोट से हराया. इनके अलावा आजम खान भी चुनावी दरिया पार करने में सफल रहे.
लोकसभा में सिमटा मुलायम का कुनबा
मुलायम और अखिलेश के साथ ही कुनबे के 4 और सदस्य भी चुनावी ताल ठोक रहे थे. अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव कन्नौज से, शिवपाल सिंह यादव और अक्षय यादव फिरोजाबाद से, धर्मेंद्र बदायूं से मैदान में थे. इन सभी को करारी मात झेलनी पड़ी. लोकसभा में कुनबा 5 की जगह 2 सीट पर सिमट गया. ऐसे में पार्टी में कार्रवाई और बड़े बदलाव की उम्मीद हर किसी को थी.