बीजिंग। चीन के शिनजियांग प्रांत में उइगर मुस्लिमों के खिलाफ कम्यूनिस्ट सरकार की सख्ती कोई नई बात नहीं है. अब चीन की सरकार ने यहां धार्मिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए नया बैन लगा दिया है. चीन के इस इस पश्चिमी राज्य में यहां के अधिकारियों ने हलाल चीजों पर रोक लगाने के लिए अभियान शुरू कर दिया है. सरकारी अधिकारियों का दावा है कि इससे चरमपंथ को बढ़ावा मिलता है. उनका दावा है कि इस अभियान के जरिए मुसलमानों की जिंदगी को बदलने का प्रयास किया जा रहा है.
शिनजियांग में इस तरह के बैन पर सरकार कहना है कि वो हलाल चीजों के इस्तेमाल में कमी लाना चाहती है. हलाल से धार्मिक और सेक्यूलर जिंदगी के बीच फासला धुंधला हो जाता है. चीन के मुताबिक वह ऐसा इसलिए कर रहा है क्योंकि, वह शिनजियांग इस्लामी चरमपंथ से लड़ रहा है. चीनी के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने दूध, टूथपेस्ट और टिश्यू जैसी चीजों में हलाल का लेबल लगाने की आलोचना की थी.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, शिनजियांग की राजधानी उरुम्ची में सोमवार को हुई मीटिंग में ये शपथ ली गई कि हलाल के जंग छेड़ी जाएगी. एक अधिकारी ने तो यहां तक दावा किया है कि वह मार्क्सवाद के अलावा इस क्षेत्र में सभी धर्मों को खत्म कर देगा. अधिकारियों को यहां पर सिर्फ मेंडारिन में बात करने और कम्यूनिकेशन की बात कही गई है.
सबसे ज्यादा तुर्क भाषा बोलने वाले लोग
शिनजियांग क्षेत्र में सबसे ज्यादा लोग तुर्क भाषा बोलने वाले रहते हैं. ये लोग खुद को मध्य एशिया से ज्यादा करीब पाते हैं. लेकिन अब यहां पर उन्हें सिर्फ मेंडारिन में बात करने के लिए कहा जा रहा है. कुछ समय पहले खबरें आई थीं कि, चीन में 10 लाख उईगुर मुसलमान गायब हैं. कहा जा रहा है कि चीन ने इन्हें शिविरों में रखा गया है. इन्हें यहां देशभक्ति के नाम पर उनके धर्म से काटा जा रहा है. शिविर में रह रहे लोगों केा सभी धार्मिक कार्यकलाप छोड़ने के लिए कहा जा रहा है.
संयुक्त राष्ट्र चीन को कह चुका है शिविर बंद करने के लिए
लोगों को शिविर में रखने की रिपोर्ट सामने आने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने चीन से कहा है कि वह ऐसे लोगों को जल्द से जल्द मुक्त कर दे. हालांकि चीन इन आरोपों से इनकार करता रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने इन शिविरों को गैर अधिकार क्षेत्र कहा है. सरकार का यह भी कहना है कि जिन शिविरों की बात की जा रही है वो वोकेशनल ट्रेनिंग के लिए शुरू किए गए हैं.