लखनऊ। अपर मुख्य सचिव संजय आर. भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय एसआईटी ने पहले ही दिन ही अपने तेवरों से जाहिर कर दिया कि गैंगस्टर विकास दुबे पर मेहरबान रहे अफसरों पर शामत आने वाली है। खुद शासन ने भी एसआईटी की जांच का दायरा इतना बड़ा कर दिया है कि इसमें विकास के मददगारों की पूरी श्रृंखला ही इसमें जुड़ जाएगी।
सूत्रों के अनुसार एसआईटी विकास दुबे के खिलाफ पूर्व में हुई पुलिस कार्रवाइयों और उससे की गई पूछताछ में सामने आए तथ्यों की भी पड़ताल कर सकती है। ऐसे कई तथ्य उसे एसटीएफ से भी हासिल हो सकते हैं। बिकरू कांड में शहीद हुए सीओ बिल्हौर देवेन्द्र मिश्रा की तत्कालीन थानाध्यक्ष चौबेपुर विनय तिवारी के खिलाफ तत्कालीन एसएसपी को लिखी गई चिट्ठी तो पहले से ही एसआईटी के पास है। यह चिट्ठी अपने-आप में थाने की कार्यशैली बयां करने के लिए पर्याप्त है। इसके अलावा कानपुर नगर और कानपुर देहात जिले की पुलिस तो पूरी तरह जांच के दायरे में होगी। दोनों जिलों में उसके विरुद्ध दर्ज मुकदमों की फेहरिश्त लंबी है। साथ ही राजस्व विभाग की टीम भी एसआईटी के रडार पर होगी। जमीनों पर कब्जे और उसकी खरीद-फरोख्त में प्रशासनिक अमले के सहयोग से इनकार नहीं किया जा सकता।
एसआईटी को दिए गए जांच के विषयों की व्यापकता को देखते हुए माना जा रहा है कि यह जांच 31 जुलाई तक पूरा करना कठिन होगा। विकास दुबे और उसके सहयोगियों के पूरे साम्राज्य की कुंडली खंगालने में खासी मशक्कत करनी होगी। मददगारों की सूची भी इतनी लंबी हो सकती है कि उन तक पहुंचने में समय लग सकता है। हालांकि एसआईटी ने गठन होने के अगले ही दिन घटनास्थल पर पहुंचकर अपनी मंशा का इजहार कर दिया है।