चीन की चालबाजियों के मद्देनजर भारत ने किसी भी स्थिति से निपटने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर 35,000 अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती की तैयारी शुरू कर दी है। वहीं गलवान घाटी में बलिदान हुए 21 जवानों के नाम युद्ध स्मारक पर अंकित किया जाएगा।
अनाम अधिकारियों के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में बताया गया है कि अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती से 3,488 किमी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिति बदल जाएगी।
एक अधिकारी ने बताया कि 15 जून को पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था। संघर्ष में भारत के 21 जवान और अफसर बलिदान हुए थे जबकि चीन के कम से कम 45 सैनिक मारे गए। गलवानी घाटी में हुए खूनी संघर्ष के बाद भारत ने भी सीमा पर अतिरिक्त सैनिकों, तोप और टैंकों की तैनाती की है। अधिकारियों ने बताया कि हालात को मद्देनजर रखते हुए वहाँ और भी ज्यादा सैनिकों की तैनाती की आवश्यकता है।
दिल्ली स्थित थिंक टैंक ‘द यूनाइटेड सर्विस इंस्टिट्यूशन ऑफ इंडिया’ के डायरेक्टर और रिटायर्ड मेजर जनरल बीके शर्मा ने कहा, ”लाइन ऑफ कंट्रोल की प्रकृति, कम से कम लद्दाख में हमेशा के लिए बदल गई है। किसी भी पक्ष की ओर से अतिरिक्त सैनिकों की वापसी तब तक नहीं की जाएगी जब तक सर्वोच्च राजनीतिक स्तर से पहल ना हो।”
सरकारी सूत्रों ने एएनआई को बताया, “हम पूर्वी लद्दाख सेक्टर में तैनात किए गए लगभग 35,000 सैनिकों के लिए अत्यधिक ठंडे मौसम वाले पोर्टेबल केबिन उपलब्ध कराने की तैयारी कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “वहाँ तैनात हमारे सैनिकों ने सियाचिन, पूर्वी लद्दाख या पूर्वोत्तर में पहले ही एक या दो कार्यकाल किए हैं और वे वहाँ लंबी तैनाती के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार हैं।”
एनएनआई ने सूत्रों के हवाले से कहा कि भारतीय मोर्चे पर तैनात चीनी सैनिकों में मुख्य रूप से ऐसे लोग शामिल हैं जो 2-3 साल की अवधि के लिए पीएलए में शामिल होते हैं और फिर अपने सामान्य जीवन में लौट जाते हैं।
वहीं पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून की रात चीन के धोखे से किए गए वार में बलिदान हुए 21 जवानों के नाम राष्ट्रीय समर स्मारक पर अंकित किया जाएगा। इस प्रकिया में कुछ महीनों का समय लगेगा। अधिकारियों ने गुरुवार को इस बारे में जानकारी दी।
झड़प में 16 वीं बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अधिकारी कर्नल बी संतोष बाबू समेत अन्य सैन्यकर्मी बलिदान हो गए थे। इस घटना के बाद पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनाव बढ़ गया और भारत ने इसे ‘चीन द्वारा सोची-समझी और पूर्वनियोजित कार्रवाई’ बताया था।