लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) ने 351 सीटें (मिशन 351) जीतने का लक्ष्य तय किया है। बावजूद इसके पार्टी चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली कार्यसमिति का गठन अभी तक नहीं कर पाई है। लोकसभा चुनाव 2019 में मिली करारी हार के बाद पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पार्टी के संगठनों और प्रवक्ताओं के पैनल को भंग कर दिया था।
पार्टी ने फिलहाल संगठन में बदलाव और आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन कार्यकारी समिति के पुनर्गठन में अभी भी कुछ समय लगेगा। चुनाव क्षेत्रों के विश्लेषण, उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया, टिकटों के चयन और वितरण, चुनाव अभियान, जिला इकाइयों को विभिन्न जिम्मेदारियों के आवंटन, संगठन और पार्टी नेताओं की भूमिका तय करने में इस समिति का खासा योगदान होता है।
2022 विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए सपा अपने आप को सत्ताधारी दल बीजेपी की प्रमुख प्रतिद्वंदी के रूप में पेश करते हुए आगे बढ़ रही है। छोटे राजीतिक दलों को पार्टी में शामिल करने के साथ ही अन्य दलों के नेताओं को खुद से जोड़ते हुए सपा अपना विस्तार करने का काम भी कर रही है।
कार्यसमिति के मुद्दे पर बात करते हुए सपा के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं, ‘राज्य कार्यकारी समिति के पुनर्गठन की पक्रिया चल रही है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी का गठन पहले ही हो चुका है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी के विपरीत, राज्य कार्यकारिणी की घोषणा करना हमेशा आवश्यक नहीं होता है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति इसलिए जरूरी है कि इसके सदस्यों की सूची को चुनाव आयोग को देना होता है।’
समाजवादी पार्टी की उत्तर प्रदेश में लगभग 90 जिला और शहर इकाइयां हैं। 90 इकाइयों में से पार्टी ने लगभग 60 इकाइयों के लिए अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी है। इसके साथ ही अपने प्रवक्ताओं के पैनल को भी पुनर्गठित किया है। राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि विधानसभा के लिए क्षेत्रवार समितियों, सेक्टर समितियों और बूथ समितियों की स्थापना की प्रक्रिया जारी है।
2012 से लेकर 2017 तक उत्तर प्रदेश की सत्ता समाजवादी पार्टी के हाथों में थी और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे। हालांकि 2017 विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी को सिर्फ 47 सीटों पर जीत मिली थी और बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ लंबे समय बाद उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई थी।
2017 विधानसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2019 में बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया था। बावजूद इसके पार्टी को सिर्फ पांच सीटों पर जीत हासिल हुई थी। हाल के दिनों में अखिलेश यादव कई बार कह चुके हैं कि वे आगामी विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में जाएंगे। वे हाल के समय में सत्ताधारी दल बीजेपी पर लगातार हमलावर भी रहे हैं।