कोरोना संक्रमण की जांच व जेएन मेडीकल कॉलेज में भर्ती होने वाले मरीजों की देखभाल में लगे डॉक्टर व चिकित्साकर्मियों को प्रशासन द्वारा शहर के अलग-अलग होटलों में रुकवाया गया था। प्रदेश सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण काल में होटलों में ठहरने वाले डाक्टरों व अन्य स्टाफ के लिए तीन टाइम के खाने के लिए प्रतिदिन के हिसाब से 500 रुपए निर्धारित किए थे। मेडीकल कॉलेज के 52 लोगों का स्टॉफ कोरोना संक्रमित मरीजों की देखभाल में जुटता था। मई तक होटलों में ठहराने की पॉलिसी लागू रही। जिसके बाद समाप्त कर दी गई।
जेएनएमसी प्रबंधन ने पिछले दिनों अप्रैल से लेकर जुलाई तक स्टॉफ के खाने व होटल में ठहरने पर हुए खर्च 15 लाख का बिल प्रशासन को दिया था। प्रशासन द्वारा अब तक बिल का भुगतान नहीं किया गया। मेडिकल कॉलेज के केंद्र के अधीन होने के चलते प्रशासन ने भुगतान नहीं किया। मंगलवार को सीएम-11 के सदस्य अपर मुख्य सचिव शिक्षा व स्वास्थ्य डॉ. रजनीश दुबे जिले में समीक्षा बैठक करने आए तो मेडीकल प्रबंधन ने इस मामले को उनके सामने रखा तो उन्होंने भी बिल भुगतान पर हाथ खड़े कर दिए। हालांकि उन्होंने बिल भुगतान का प्रस्ताव शासन को भेजने के निर्देश प्रशासन को दिए।
अनुनय झा, सीडीओ ने बताया कि मेडीकल कॉलेज स्टाफ के होटल में ठहरने व खाने पर अप्रैल से अब तक 15 लाख रूपए का खर्च हुआ है। जिसका बिल प्रबंधन ने दिया था। मेडीकल केन्द्र के आधीन आता है। ऐसे में उनका भुगतान राज्य सरकार के स्तर से किए जाने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है।