चार मिनट के जज्बाती वीडियो के नेपथ्य में बजते ‘मैं पल दो पल का शायर हूं, पल दो पल मेरी कहानी है’ गीत के बीच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से विदा लेने वाले महेंद्र सिंह धोनी की कहानी कुछ पलों की नहीं, बल्कि क्रिकेट के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज होने वाली कामयाबी की गाथा है। रांची जैसे छोटे शहर से निकलकर महानगरों में सिमटे क्रिकेट की चकाचौंध भरी दुनिया में अपना अलग मुकाम बनाने वाले धोनी ने युवाओं को सपने देखने और उन्हें पूरा करने का हौसला दिया। दो विश्व कप जीतने वाले धोनी के कैरियर के आंकड़े बताते हैं कि इरादे मजबूत हो तो क्या हासिल किया जा सकता है।
सफलता के शिखर पर पहुंचने के बाद एक दिन अचानक टेस्ट क्रिकेट को उन्होंने यूं ही अलविदा कह दिया था जब वह टेस्ट मैचों का शतक बनाने से दस मैच दूर थे। इसके पांच साल और सात महीने बाद 15 अगस्त को जब देश आजादी के 74 साल पूरे होने का जश्न मना रहा, तो शाम को धोनी ने इंस्टाग्राम पर लिखा, ”शाम सात बजकर 29 मिनट से मुझे रिटायर्ड समझिए।”
तनाव और दबाव के बीच कभी विचलित नहीं होने वाले धोनी ही ऐसा कर सकते थे। देश को 28 बरस बाद वनडे विश्व कप जिताने के बाद निर्विकार भाव से पवेलियन का रुख करने वाला कप्तान बिरला ही होता है। अपने जज्बात कभी चेहरे पर नहीं लाने वाले धोनी के निजी फैसले यूं ही अनायास आए हैं। उन्हें जानने वाले भी ये दावा नहीं कर सकते कि उनके भीतर क्या चल रहा है। क्रिकेट के मैदान पर उनका जीवन खुली किताब रहा है, लेकिन निजी जिंदगी के पन्ने उन्होंने कभी नहीं खोले जिसमें वह सोचते और फैसले लेते आए हैं।
विश्व कप सेमीफाइनल में रन आउट होने के बाद से पिछले एक साल में उन्हें लेकर तरह तरह की अटकलें लगी, लेकिन उन्होंने चुप्पी नहीं तोड़ी। धोनी की कहानी सिर्फ क्रिकेट की कहानी नहीं, बल्कि क्रिकेट की दुनिया में आए बदलाव की भी कहानी है। बड़े शहरों में क्रिकेट खेलते लड़कों को देखकर हाथ में बल्ला या गेंद थामने की इच्छा रखने, लेकिन उन्हें पूरा कर पाने का हौसला नहीं रखने वाले अपनी पीढ़ी के लाखों युवाओं के वह रोलमॉडल बने।
परंपरा से हटकर सोचना और हुनर पर भरोसा रखना उनकी खासियत रही। यही वजह है कि टी20 विश्व कप 2007 फाइनल में उन्होंने जोगिंदर शर्मा को आखिरी ओवर थमाया जिनका कोई नाम भी नहीं जानता था। उस मैच ने शर्मा को हीरो बना दिया। धोनी उस शहर से आते हैं जहां युवाओं का लक्ष्य आईआईटी, जीई या यूपीएससी की तैयारी करना रहा करता था, लेकिन उनके बचपन के कोच केशव रंजन बनर्जी के अनुसार धोनी की कहानी ने यह सोच बदल दी। भारतीय क्रिकेट उनका सदैव ऋणी रहेगा।
मीडिया से उनका खट्टा मीठा रिश्ता रहा है। कभी किसी को कोई ‘एक्सक्लूसिव’ उनसे नहीं मिला और आम प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी सवाल का जवाब वह कई तरह से देने में माहिर थे। विश्व कप 2015 सेमीफाइनल मैच के बाद उन्होंने कहा था, ”मैं हमेशा बाबा (तत्कालीन टीम मैनेजर) से कहता हूं कि मीडिया आपके काम से खुश है, तो इसका मतलब है कि आप अपना काम ठीक से नहीं कर रहे।”
आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में धोनी की टीम चेन्नई सुपर किंग्स का नाम आने के बाद मुंबई में 2013 में चैम्पियंस ट्रॉफी के लिए टीम की रवानगी से पहले उन पर सवालों की बौछार होती रही, लेकिन गरिमामय मुस्कान से उन्होंने जवाब दिया। कप्तान विराट कोहली ने कहा था कि उनके कप्तान हमेशा धोनी रहेंगे और इस धुरंधर की मौजूदगी ने विराट का काम हमेशा आसान किया। भारतीय क्रिकेट में कई महान खिलाड़ी हुए और आगे भी होंगे, लेकिन अपनी शर्तों पर अपने कैरियर की दिशा तय करने वाले ‘कैप्टन कूल’ धोनी जैसा कप्तान और खिलाड़ी सदियों में एक पैदा होता है।
‘रांची का यह राजकुमार’ हालांकि क्रिकेट के इतिहास में महानतम खिलाड़ियों में अपना नाम दर्ज करा गया है। भारत के लिए उन्होंने 350 वनडे, 90 टेस्ट और 98 टी20 मैच खेले। उन्होंने वनडे क्रिकेट में पांचवें से सातवें नंबर के बीच में बल्लेबाजी के बावजूद 50 से अधिक की औसत से 10773 रन बनाए। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 38.09 की औसत से 4876 रन बनाए और भारत को 27 से ज्यादा जीत दिलाई। आईपीएल में तीन बार चेन्नई को जिताकर वह ‘थाला’ कहलाए। चेन्नई टीम के सीईओ काशी विश्वनाथ ने हाल ही में कहा था कि वह कम से कम 2022 तक टीम के लिए खेलते रहेंगे।