बॉलीवुड में ड्रग्स के मुद्दे को लोकसभा में उठाने वाले बीजेपी सांसद और एक्टर रवि किशन ने मुंबई में अपने संघर्ष के दिनों को याद किया है. रोजी रोटी के लिए उन्हें किस दौर से गुजरना पड़ा इसकी कहानी उन्होंने साझा की है.
बता दें कि जौनपुर में जन्मे रवि किशन ने पिता की पिटाई के बाद मुंबई का रूख किया था. जब उनसे पूछा गया कि रवि किशन शुक्ला गोरखपुर में अपनी पहचान बताते हैं मुंबई में क्यों छिपाते हैं, क्या डर था?
इस पर रवि किशन कहते हैं, ‘सिनेमा में अलग नजर से देखा जाता है. भैया, दूध वाला, ठेला वाला समझा जाता था. भोजपुरी हिंदी के लोगों को नीचा समझा जाता है. एक लड़ाई में बोला गया कि शुक्ला तो हटाना पड़ेगा. मेरे पास पैसा नहीं था. अपने पिता का नाम हटाना इससे दुखद क्या होगा. रोजी रोटी के लिए ऐसा करना पड़ा, क्योंकि एक बड़े परिवार को देखना पड़ रहा था. प्रभु मुझे रास्ता दिखा रहे थे. मुझे लगा कि सिनेमा का एक नाम होगा इसलिए ऐसा करना पड़ा. पैदल, बस से चला. ये एक लंबी कहानी है.’
फिल्म सिटी से हिंदी पट्टी के लोगों को होगा फायदा
रवि किशन ने कहा,’देश तो समझ ही गया होगा कि मैं क्या कहना चाह रहा हूं. मैं जो चाह रहा था कि फिल्म सिटी यहां बने, सम्मान के साथ लोग यहां काम करें. वैसा माहौल बन रहा है यहां. अपनी भाषा-अपनी इंडस्ट्री पर लोग काम करें.’
उन्होंने कहा, ‘हमारा युवा एक अलग दिशा में जा रहे थे, देश को कमजोर, खोखला किया जा रहा था. नशे से देश को कमजोर करने की साजिश.बड़े नाम हों या छोटे, जो गलत किया होगा वो पकड़ा जाएगा. किसी ने गलत नहीं किया होगा तो क्यों पकड़ा जाएगा.’
जया बनाम रवि किशन का तो मामला नहीं है?
रवि किशन ने कहा, ‘एनसीबी, सीबीआई, पुलिस प्रशासन, हमारी सरकार बहुत मजबूत हैं. वो एक-एक को चुन-चुन के निकालेंगे. जो भी बर्बाद कर रहा है, ऐसे लोगों को संरक्षण दे रहा है, उन्हें एजेंसियां चुन के निकालेंगे. जो निर्दोष हैं उनके लिए मैं वादा करता हूं कि उन्हें कुछ नहीं होगा. लॉकअप ऑप्शन नहीं है, रिहैब ऑप्शन है.’