नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा पास किए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन से दिल्ली में अराजकता का माहौल है। अब पता चल रहा है कि जिन लोगों ने JNU में हिंसा को बढ़ावा दिया था, दिल्ली दंगों के दौरान मुस्लिमों को भड़काया था, वही हरियाणा-पंजाब सीमा पर चल रहे इस ‘किसान आंदोलन’ को भी उपद्रव में बदल रहे हैं। हजारों लोगों के दिल्ली कूच करने के बाद हरियाणा की सिंधु सीमा पर पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है।
गुरुवार (नवंबर 26, 2020) को पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर वाटर कैनन का इस्तेमाल किया और आँसू गैस के गोले भी छोड़े, लेकिन इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। कई किसानों को गिरफ्तार भी किया गया। अब इस आंदोलन के तार जनवरी 2020 में JNU में हुई हिंसा और फरवरी के अंतिम हफ्ते में दिल्ली में हुए CAA विरोधी दंगों से जुड़ रहे हैं। JNU की हिंसा के दौरान कई व्हाट्सप्प ग्रुप्स बना कर हिंसा के लिए साजिश रची गई थी।
आनंद मंगनाले 2016 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में राहुल गाँधी के रणनीतिकार थे। वो इससे पहले प्रशांत किशोर के साथ काम कर चुके हैं। व्हाट्सप्प पर हुई बातचीत के स्क्रीनशॉट्स के सामने आने के बाद पता चला था कि आनंद ने हिंसा की साजिश रचने में बड़ी भूमिका निभाई थी। आनंद ने दावा किया था कि उन्होंने एक दक्षिणपंथी ग्रुप में घुस कर सूचनाएँ निकाली हैं। उनका इस्लामी समूह ‘यूनाइटेड अगेंस्ट हेट (UAH)’ से भी जुड़ाव सामने आया था।
विंटर सेमेस्टर के रजिस्ट्रेशन के दौरान हुई झड़प के बाद वामपंथी गुंडों ने हॉस्टलों में जाकर छात्रों की पिटाई की थी। शुक्रवार को आनंद मंगनाले को किसान आंदोलन को लेकर भी लेकर प्रोपेगंडा फैलाते हुए पाया गया। कॉन्ग्रेस से जुड़े आनंद ने ट्विटर के जरिए पहले से ही आक्रोशित भीड़ को भड़काया। उन्होंने प्रदर्शनकारियों द्वारा बैरिकेड तोड़ने का महिमामंडन करते हुए धमकाया कि खट्टर का हो गया, अब मोदी की बारी है।
साथ ही उन्होंने ये भी दावा किया कि कंटेंनर्स और वाटर कैनन किसानों को नहीं रोक पाएँगे। सार्वजनिक रूप से उपद्रव, पुलिस से झड़प और सड़कों को ब्लॉक करने का महिमामंडन करने वाले आनंद मंगनाले ने किसानों द्वारा सीमेंट स्ट्रक्चर्स को तोड़े जाने की भी तारीफ की। सार्वजनिक संपत्ति की क्षति की करते हुए उन्होंने दावा किया कि जिन ट्रैक्टरों का काम कृषि के लिए होता था, अब वही ‘सिविल रेजिस्टेंस’ में काम आएँगे।
वहीं योगेंद्र यादव भी अब ‘किसान नेता’ बन गए हैं और उनका संगठन ‘स्वराज इंडिया’ भी प्रोपेगेंडा फैलाने में जम कर लगा हुआ है। उन्होंने लोकतांत्रिक रूप से पास कानून को किसान-विरोधी तो बताया ही, साथ ही किसानों को ये कह कर भड़काया कि उन्हें विरोध करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। अपने संगठन के लोगों को इस प्रदर्शन में लगाने वाले योगेंद्र यादव अब ‘बिहार चुनाव विशेषज्ञ’ से ‘किसान नेता’ बन गए हैं।
किसान पूरे देश का पेट भरता है और आज भाजपा सरकार ने उसी किसान को राजधानी तक ना जाने देने के लिए वॉटर कैनन, टीयर गैस का इस्तेमाल किया। भाजपा सरकार यह भूल गई कि अब किसान इस सरकार के द्वारा किया दमन हमेशा याद रखेंगे। किसान अपने हक़ के लिए आखिर तक लड़ेगा और जीतेगा।#FarmersProtest pic.twitter.com/MOv2YJ33WB
— Swaraj India (@_SwarajIndia) November 27, 2020
ये भी याद रखने वाली बात है कि किस तरह वीडियो बना कर और प्रदर्शन स्थलों पर पहुँच कर योगेंद्र यादव ने दिसंबर 2019 में CAA विरोधी आन्दोलनों को भी भड़काया था। उमर खालिद और शरजील इमाम के साथ मिल कर प्रदर्शन स्थलों का दौरा किया था। उमर खालिद ने ही शरजील इमाम से उनका परिचय कराया था। जामिया, DU और JNU के छात्रों को मोबिलाइज करने की चर्चा इन तीनों के बीच हुई थी।
तीनों की बैठक में ये रणनीति बनाई गई थी कि चक्का जाम के लिए मुस्लिमों को सोशल मीडिया के माध्यम से भड़काया जाएगा। इसी तरह ‘पिंजरा तोड़’ की गिरफ्तार एक्टिविस्ट्स नताशा नरवाल और देवांगना कलिता ने खुलासा किया था कि उन्हें योगेंद्र यादव की तरफ से दिशा-निर्देश दिए गए थे। दिल्ली दंगों की चार्जशीट में भी बताया गया है कि कैसे योगेंद्र यादव ने CAA विरोधी आन्दोलनों को हवा दी, जो बाद में हिंसा में बदल गया।
वामपंथी पत्रकार आदित्य मेमन ने ट्वीट किया कि किसान आंदोलनकारियों को मस्जिदों की तरफ से हर सहायता दी जा रही है। उन्हें भोजन-पानी मुहैया कराया जा रहा है। इसी तरह दिल्ली दंगों में हिंसा फ़ैलाने का आरोपित संगठन UAH भी इस आंदोलन में शामिल है। इसके शांतिपूर्ण होने के दावे जरूर किए जा रहे हैं, लेकिन जिस तरह से हरियाणा-दिल्ली सीमा पर हिंसा हुई है, ऐसा लग नहीं रहा कि ये सब कुछ शांतिपूर्ण है।
1st barricade Haryana-Delhi Singhu border, after #Farmers decided to break it down. #DilliChalo #FarmersProtest
How it started How it ended pic.twitter.com/20Jb5euCcC
— Anand Mangnale (@FightAnand) November 27, 2020</blockquote>UAH की पूरी कोशिश है कि दिल्ली पहुँचे ‘किसान’ आंदोलनकारी ज्यादा से ज्यादा दिनों तक यहाँ रहें और लंबे समय तक हंगामा करें। इसलिए, उसने दिल्ली की 25 मस्जिदों के साथ मिल कर आंदोलनकारियों को न सिर्फ खाने-पीने की चीजें, बल्कि रहने के लिए जगह भी मुहैया कराने का जिम्मा उठा लिया है। UAH के मुखिया नदीम खान ने कहा कि मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे लोगों को मदद पहुँचाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि 4 किचन पूरे 24 घंटे चलाए जा रहे हैं, ताकि आंदोलनकारियों को भोजन मुहैया कराया जा सके। हौज खास, रोहतक, ओखला और ओल्ड दिल्ली में ये किचन स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इन 4 जगहों के अलावा आंदोलनकारियों को उनकी माँग के हिसाब से पार्सल भी पहुँचाए जा रहे हैं। गाड़ियों का इस्तेमाल कर भोजन पैकेट्स आंदोलनकारियों तक पहुँचाया जा रहा है। UAH की स्थापना इस्लामी कट्टरपंथी खालिद सैफी ने की थी।