असम के शिक्षा मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता हिमांत बिस्वा सरमा ने सोमवार (दिसंबर 14, 2020) को कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने राज्य में शिक्षा को सेक्युलर बनाने का फैसला किया है। इसलिए, असम में 198 उच्च मदरसे और 542 अन्य मदरसे सामान्य शिक्षण संस्थान के रूप में संचालित होंगे। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों में अब मजहबी पढ़ाई के लिए छात्रों को एडमिशन नहीं दिया जाएगा।
बता दें कि फरवरी 2020 में एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए असम सरकार ने घोषणा की थी कि सरकार सभी राज्य संचालित मदरसों और संस्कृत टोल्स को बंद कर रही है। सरमा ने उस समय कहा था कि धार्मिक उद्देश्यों के लिए धार्मिक शास्त्र, अरबी और अन्य भाषाओं को पढ़ाना सरकार का काम नहीं है।
असम में राज्य सरकार द्वारा संचालित किए जाने वाले लगभग 1000 मदरसे हैं। राज्य सरकार इन मदरसों पर लगभग 260 करोड़ रुपए सालाना खर्च करती है। सरमा ने कहा था कि राज्य सरकार ने स्थिति का मूल्यांकन किया है और फैसला किया है कि राज्य को सार्वजनिक धन का उपयोग करके कुरान को पढ़ाना या प्रचार नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य द्वारा संचालित मदरसों की उपस्थिति के कारण कुछ संगठनों द्वारा भगवद गीता और बाइबल के साथ-साथ स्कूलों में पढ़ाने की माँग की गई थी, लेकिन सभी धार्मिक शास्त्रों के अनुसार स्कूलों को चलाना संभव नहीं था।
गौरतलब है कि हिमांत बिस्वा सरमा ने ग्रीष्मकालीन विधानसभा सत्र के दूसरे दिन शिक्षा विभाग पर बोलने के दौरान मदरसों के प्रान्तीयकरण के सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि सरकार के मदरसे नवंबर से बंद हो रहे हैं, इसलिए नए मदरसों के प्रांतीयकरण करने का कोई सवाल ही नहीं है। उन्होंने कहा था कि अब से असम सरकार केवल धर्मनिरपेक्ष और आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देगी।
वहीं संस्कृत के बारे में बात करते हुए शर्मा ने कहा था कि संस्कृत सभी आधुनिक भाषाओं की जननी है। असम सरकार ने सभी संस्कृत टोल्स को कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत और प्राचीन अध्ययन विश्वविद्यालय (नलबाड़ी में) के तहत लाने का फैसला किया है। वह एक नए रूप में कार्य करेंगे।