नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई में चल रही ‘जंग’ पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं. CBI अभी अपने नंबर एक और नंबर दो अफसरों की लड़ाई में उलझी है, जिसको लेकर मोदी सरकार ने सख्त रुख अपनाया है. मंगलवार देर रात बड़ी बैठक करने के साथ ही सरकार की तरफ से आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया गया.
दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेजना और नागेश्वर राव को सीबीआई की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला मंगलवार की रात को हुआ. पढ़ें मंगलवार रात का पूरा घटनाक्रम क्या रहा…
> केंद्रीय सर्तकता आयुक्त (सीवीसी) ने मंगलवार को सीबीआई के मुद्दे पर बैठक की.
> इस बैठक में सीवीसी के सभी अफसर मौजूद रहे, बैठक में सीबीआई में चल रहे मामले पर बात हुई. अभी तक इस मामले में क्या आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए हैं इनपर चर्चा की गई.
> इस लंबी बैठक के बाद ही ये तय किया गया कि अभी के लिए आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेज देना ही सही है. इससे जांच सही तरीके से हो पाएगी.
> इस बैठक में जो भी फैसला लिया गया, उसके बारे में केंद्र सरकार को जानकारी दी गई.
मंगलवार की रात को क्या हुआ…?
> रात एक बजे दिल्ली पुलिस ने सीबीआई दफ्तर को सीज़ कर दिया.
> रात एक बजकर पंद्रह मिनट पर नागेश्वर राव, सीबीआई के दफ्तर पहुंचे.
> नागेश्वर राव तभी सीबीआई दफ्तर के 11वें फ्लोर पर पहुंचे, उन्होंने आलोक वर्मा-राकेश अस्थाना के दफ्तरों को सील कर दिया.
> 11वें फ्लोर को सील करने के बाद उन्होंने 10वें फ्लोर पर मौजूद सभी दफ्तरों की चाभी अपने पास रखी.
> नागेश्वर राव की तरफ से इस केस से जुड़े सभी लोगों को हटा दिया. नई टीम तैयार की गई.
> राकेश अस्थाना से जुड़े मामले को उन्होंने फास्ट ट्रैक में भेजा गया.
> बुधवार दोपहर को 10वें, 11वें फ्लोर को दोबारा खोल दिया गया.
कई लोगों पर गिरी गाज
नागेश्वर राव ने कामकाज संभालते हुए कड़ा रुख अख्तियार किया. नागेश्वर राव ने बुधवार सुबह ही ज्वाइंट डायरेक्टर अरुण शर्मा को जेडी पॉलिसी, जेडी एंटी करप्शन हेडक्वार्टर से हटा दिया.
इसके अलावा AC III के डीआईजी मनीष सिन्हा को भी उनके पद से हटा दिया गया है. सीबीआई ने राकेश अस्थाना के मामले को फास्ट ट्रैक इन्वेस्टिगेशन में डाल दिया है.
कौन हैं नागेश्वर राव?
आपको बता दें कि नागेश्वर राव 1986 बैच के आईपीएस अफसर हैं. नागेश्वर तेलंगाना के ओडिशा कैडर के आईपीएस अफसर हैं. उन्हें 5 साल के लिए सीबीआई का ज्वाइंट डायरेक्टर बनाया गया था.
राव की छवि एक सख्त अफसर की रही है. उनके कामकाज का ही नतीजा है कि उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार, स्पेशल ड्यूटी मेडल, ओडिशा राज्यपाल मेडल समेत कई अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है.
नागेश्वर राव के करियर की शुरुआत ही बड़े धमाके के साथ हुई थी, उनकी पहली पोस्टिंग तालचेर में 1989-90 में हुई थी. तालचेर को कोयला माफियाओं का गढ़ माना जाता था. उन्होंने पोस्टिंग के बाद वहां कानून व्यवस्था में जबरदस्त सुधार किया था.
मामला क्या है?
गौरतलब है कि एजेंसी ने अस्थाना और कई अन्य के खिलाफ कथित रूप से मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से घूस लेने के आरोप में रविवार को एफआईआर दर्ज की थी. कुरैशी धनशोधन और भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना कर रहा है.
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दिसंबर 2017 और अक्टूबर 2018 के बीच कम से कम पांच बार रिश्वत दी गई. इसके एक दिन बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया.