वाराणसी/लखनऊ। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बाद अब उनके करीबी रहे महंतों में डर काफी बढ़ गया है. इन्हीं में से एक बिहार के बोधगया मठ के महंत और संरक्षक रमेश गिरि महाराज भी हैं, जो कई महीनों से वाराणसी में शरण लिए हुए हैं. रमेश गिरि का कहना है कि उनका हश्र नरेंद्र गिरि से भी बुरा हो सकता है.
बिहार के बोधगया मठ में विवाद चल रहा है, जिसकी वजह से उन्हें वाराणसी में शरण लेनी पड़ी. महंत नरेंद्र गिरि को महंत रमेश गिरि ने अपने लखनऊ के काली मंदिर मठ का अध्यक्ष नियुक्त किया था. बाद में महंत नरेंद्र गिरि ने कई बार विवाद से निकालने में उनकी मदद भी की है.
अब जब महंत नरेंद्र गिरि नहीं रहे, तब महंत रमेश गिरि असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और बिहार से लेकर यूपी सरकार से भी अपनी सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं.
बोधगया मठ में चल रहा है विवाद
आपको बता दें कि महंत रमेश गिरि के बोधगया मठ की संपत्ति न केवल बिहार, बल्कि वाराणसी समेत अलग-अलग हिस्सों में है. यहां पर ही अब वह शरण लेकर रह रहे हैं. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के बाद अब बोधगया मठ के महंत रमेश गिरि को भी अपने जान का भय सता रहा है.
बोधगया मठ के महंत रमेश गिरि का कहना है कि महंत नरेंद्र गिरि उनके बहुत बड़े सहयोगी थे. लखनऊ काली मंदिर मठ के मामले में नरेंद्र गिरि ने उनकी बहुत मदद भी की थी. इसके बाद नरेंद्र गिरि को लखनऊ के काली मंदिर मठ का अध्यक्ष भी बना दिया गया था. नरेंद्र गिरि के जाने से उनको बहुत तकलीफ और पीड़ा है. नरेंद्र गिरी अगर रहते तो बिहार के बोधगया मठ के मामले में उनकी काफी मदद भी करते हैं.
महंत रमेश गिरि ने आगे बताया कि इसी नवरात्र में महंत नरेंद्र गिरि उनके मठ में आने वाले थे और बोधगया मठ को लेकर चल रहे विवाद पर चर्चा भी होने वाली थी. उन्होंने आगे बताया कि उनके मठ के बहुत सारे उपद्रवी उन्हें परेशान कर रहे हैं. बिहार बोधगया मठ में उन्होंने कब्जा कर लिया है और अपना अड्डा बनाए हुए हैं, उन लोगों के खिलाफ काफी लिखा भी गया है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है.
‘नरेंद्र गिरि से बुरा हश्र हो सकता है’
अब बोधगया मठ के रमेश गिरि ने बिहार सरकार से सुरक्षा की मांग की है. महंत ने कहा कि नरेंद्र गिरि से बुरा हश्र उनके साथ बिहार में बोधगया मठ में हो सकता है. एक बार उनके एक व्यक्ति की जान उस मठ में जाते-जाते बची, क्योंकि आसपास के लोगों ने मदद कर दी थी. वहां पर उनकी जान को बहुत खतरा है, इसलिए हमें सुरक्षा चाहिए.
रमेश गिरि का कहना है कि पिछले आठ-दस महीनों से वह अपनी जान को बचाते हुए इधर-उधर भटक रहे हैं और फिलहाल वाराणसी के बोधगया मठ में शरण लिए हुए हैं. उनके बिहार बोधगया मठ पर बहुत खतरनाक तरह के लोगों ने कब्जा कर रखा है, इसलिए उनको सुरक्षा मिलनी चाहिए नहीं तो उनका भी हाल महंत नरेंद्र गिरि जैसा ही हो जाएगा.