अमेरिका तथा चीन के बीच तकनीक के क्षेत्र में सबसे बेहतर होने की होड़ लगी है, दोनों देशों के बीच इस रेस की वजह से वर्ल्ड के दूसरे सबसे बड़े बाजार को परेशानी झेलनी पड़ सकती है, अमेरिका की जो बाइडेन सरकार ने चीन पर से आर्थिक निर्भरता घटाने के लिये कुछ फैसले किये हैं, ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने अपने घरेलू सप्लाई को सुरक्षित करने के लिये हाल ही में कई कदम उठाये हैं, साथ ही उसकी कोशिश अपनी इंडस्ट्रियल सुपीरियरिटी को मजबूती देने की है, इसके लिये बी बाइडेन सरकार ने कई फैसले लिये हैं।
बाइडन सरकार के लिये ऐसे फैसलों के बाद चीन की कंपनियों के लिये अनिश्चितता बढ गई है, इस वजह से चीन की बायोटेक से लेकर इलेक्ट्रिक व्हीकल की कंपनियों के शेयरों में जोरदार बिकवाली देखने को मिल रही है, इस महीने एमएससीआई चीन इंडेक्स 7 फीसदी से ज्यादा गिरा है, वहीं वैश्विक बाजार में 2.5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है।
निवेशक इस बात से भी चिंतित हैं कि रुस तथा ताइवान को लेकर चीन का रुख उनकी मुश्किलों को और बढा सकता है, तनाव में बढोतरी का असर आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है, पिछले सप्ताह राष्ट्रपति जिनपिंग की अपने रुसी समकक्ष के साथ मीटिंग पर व्यापारियों की नजरें थी, इससे अमेरिकी प्रतिबंधों के लिये आधार मिल सकता है।
बीएनपी पारिबा एसेट मैनेजमेंट में एशियाई तथा वैश्विक उभरते बाजार इक्विटीज के प्रमुख झिकाई चेन ने कहा कि 2022 तथा उससे आगे चीन के संबंध चुनौतीपूर्ण बने रहेंगे, क्योंकि दोनों अर्थव्यवस्थाएं एक-दूसरे को प्रतिस्पर्धा के रुप में देखती है, हमारा जोर डिफेंसिव और पॉलिसी से फायदा उठे वाली कंपनियों पर है, साथ ही ज्यादा जियो-पॉलिटिकल रिस्क वाले शेयर से बच रहे हैं, कड़े कोविड प्रतिबंधों, कमजोर अर्थव्यवस्था तथा प्रॉपर्टी बाजार में मंदी से जूझ रहे बाजार में नये घटनाक्रम इसके सेंटिमेंट को और तोड़ रहे हैं, चीनी स्टॉक गेज इस साल सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले प्रमुख बेंचमार्क में से है।