नई दिल्ली। नेपाल की राजधानी काठमांडू से कुछ तस्वीरें आईं. जिनमें दिख रहा है कि जैसे ही एक शख्स कार से नीचे उतरता है, अचानक एक हमलावर उसे कार के चारों तरफ दौड़ा-दौड़ा कर गोली मारता है. फिर खुलासा होता है कि जिस शख्स को गोली मारी गई, वो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का एजेंट था. साथ ही डी कंपनी के साथ भी उसका कनेक्शन था. उस शख्स पर भारत में जाली नोट सप्लाई करने का भी इल्जाम है. अब सवाल ये है कि उसका कत्ल किसने और क्यों किया?
जिस वक्त शख्स को गोली मार गई वह रात का समय था. सिवाय एक मकान के गली में पूरी तरह अंधेरा छाया था. उसी मकान के बाहर एक सफेद रंग की कार आकर रुकती है. कार रुकने के साथ ही हाथ में रूमाल लिए सफेद कुर्ता पायजामा पहने एक शख्स गाड़ी से नीचे उतरता है. लेकिन इससे पहले कि वो कुछ समझ पाता अचानक कार के पीछे अंधेरे से गोलियों की आवाज़ के साथ चिंगारी दिखाई देती है. गोली इसी सफेद कुर्ते पायजामे वाले शख्स को निशाना बना कर ही चलाई गई थी. सिर पर मंडराती मौत को देखकर गाड़ी से नीचे उतरे शख्स के होश फाख्ता हो जाते हैं और वो बचने के लिए बेतहाशा भागने लगता है. लेकिन जब उसे बचने का कोई रास्ता दिखाई नहीं देता, तो फिर वो कार के ही गोल-गोल चक्कर लगाने लगता है.
हर हाल में उसकी जान लेना चाहते थे हमलावर
हमलावर भी गाड़ी के इर्द-गिर्द घूम-घूम कर उसे निशाना बनाने की कोशिश करते हैं. इस रेस में जीत आख़िरकार हमलावरों की ही होती है. गाड़ी का एक चक्कर लगाने के बाद आखिरकार गोलियों का शिकार बन रहे शख्स की हिम्मत जवाब दे देती है. वो कुछ देर के लिए रुककर सरेंडर करने की मुद्रा में अपने दोनों हाथ भी ऊपर उठाता है. लेकिन हमलावर उसे बख्शने के मूड में नज़र नहीं आते और फायरिंग जारी रहती है. आखिरकार वो गाड़ी के दांयी ओर पिछले टायर के पास गिर जाता है और इसके बाद उसपर कुछ और गोलियां बरसा कर हमलावर अंधेरे में ही गायब हो जाते हैं.
छत से नीचे कूद पड़ी थी लड़की
सीसीटीवी की उन तस्वीरों को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि इस फायरिंग के दौरान मकान की छत से एक लड़की सीधे नीचे कूद जाती है और फिर किसी तरह उठकर हमलावरों के पीछे भागती है. लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है. हमलावर दूर जा चुके हैं. ये लड़की कोई और नहीं बल्कि गोलियों का शिकार बने कुर्ते पायजामे वाले शख्स की बेटी है, जो अपने बाप पर हमला होता देख उसे बचाने के लिए छत से छलांग लगाकर हमलावरों के पीछे भागती है. शूटर्स के भागने के बाद कुर्ते पायजामे वाला शख्स किसी तरह लड़खड़ाता हुआ खड़ा होता है और घरवाले उसे अंदर ले जाते हैं. आनन-फानन में लोग उस शख्स को अस्पताल ले जाते हैं, जहां इलाज के दौरान गुमनाम हमलावरों की गोलियों का शिकार बनने वाले उस आदमी की मौत हो जाती है.
आईएसआई एजेंट था मरनेवाला शख्स
सीसीटीवी में कैद हमले की तस्वीरें बेहद चौंकाने वाली हैं. लेकिन जब इस हमले में मारे गए शख्स की पहचान सामने आती है, तो कहानी और भी ज्यादा सनसनीखेज़ हो जाती है. क्योंकि शूटरों की गोलियों का निशाना बनने वाला वो शख्स कोई मामूली आदमी नहीं, बल्कि नेपाल में बैठ कर भारत में नकली नोटों का कारोबार चलाने वाला आईएसआई का एजेंट मोहम्मद दर्जी उर्फ लाल मोहम्मद था. लाल मोहम्मद का संबंध दाऊद इब्राहिम गैंग से था. वो उसी के इशारे पर आईएसआई के लिए ये काम कर रहा था.
दागदार रहा है लाल मोहम्मद का अतीत
लाल मोहम्मद पर हमला काठमांडू के बाहरी इलाके में सोमवार की शाम को हुआ था. हमलावरों ने उसे कागेश्वरी मनोहरा म्यूनिसिपल्टी के गोठा-टर इलाके में तब घेर कर मार डाला, जब वो कहीं बाहर से घर लौट रहा था. फिलहाल पुलिस इस मामले की जांच तो कर रही है, लेकिन क़ातिल और क़त्ल की साज़िश को लेकर उसके हाथ अभी खाली हैं. क्योंकि सीसीटीवी में कैद कातिलों की तस्वीरें साफ नहीं हैं और इन तस्वीरों के सहारे किसी को पहचानना बहुत मुश्किल है. ऊपर से हमले में मारे गए लाल मोहम्मद का ट्रैक रिकॉर्ड और उसकी मौजूदा प्रोफाइल के ज़रिए भी पुलिस के लिए उसके कातिलों के बारे में पता करना कम चुनौती भरा नहीं है. क्योंकि जाली नोटों के धंधे से जुड़े इस आईएसआई एजेंट का अतीत भी बेहद दागदार रहा है.
जाली नोटों के सबसे बड़ा धंधेबाज़
लाल मोहम्मद कत्ल के मामले का मुजरिम रहा है. इसी संगीन इल्जाम में वो दस साल जेल में गुजार चुका है. आईएसआई के लिए जाली नोटों का काम करते हुए वो यूनुस अंसारी के गैंग का मेंबर रहा, जो नेपाल के रास्ते भारत में जाली नोटों की खेप पहुंचाता रहा है. सूत्रों की मानें तो अपने कत्ल से पहले उसने खुद पर मंडराते खतरे को देखते हुए नेपाल पुलिस से शिकायत भी की थी. लेकिन इससे पहले कि नेपाल पुलिस उसकी सुरक्षा का कोई इंतजाम कर पाती, कातिलों ने उसे ढेर कर दिया.
कमीशन को लेकर थी पुरानी दुश्मनी
पुलिस और खुफिया सूत्रों की मानें तो जाली नोटों के कमीशन को लेकर उसकी दूसरे धंधेबाज़ों से पुरानी दुश्मनी चली आ रही थी और उसने दाऊद इब्राहिम गैंग के शूटरों की मदद से बलराम पटुआ नाम के एक कारोबारी की हत्या करवा दी थी. 4 जुलाई 2007 को नेपाल में जाली नोटों के धंधेबाज़ बलराम पटुआ को कातिलों ने निशाना बनाया था. उसका कत्ल काठमांडू के अनामनगर में हुआ था. जिसमें डी कंपनी के एक शूटर मुन्ना खान उर्फ इल्ताफ हुसैन अंसारी और लाल मोहम्मद का नाम सामने आया था. इसी मामले में लाल मोहम्मद दस साल जेल में भी रहा था.
गैंगवार के चलते हुआ मर्डर
लाल मोहम्मद जाली नोटों के कारोबार के साथ-साथ नेपाल में दाऊद इब्राहिम के दूसरे काले धंधे भी संभालता था. उसका नाम आतंकी गतिविधियों और खासकर टेटर फंडिंग में सामने आ चुका है. वो नेपाल में आईएसआई के एजेंट और हिस्ट्रीशीटर्स को पनाह देने के साथ-साथ उन्हें लोकल सपोर्ट देता था. लाल मोहम्मद जुलाई 2017 में जेल से रिहा हुआ था. इसके बाद उसने कपड़ों का कारोबार शुरू किया था. पुलिस का दावा है कि उसकी हत्या गैंगवार के चलते की गई है.
बढ़ गया जाली नोटों का कारोबार
ये तो रही जाली नोटों के एक धंधेबाज़ के क़त्ल की कहानी. पुलिस के लिए जिसकी तह तक पहुंचना अभी बाकी है. लेकिन इस क़त्ल ने देश में फलफूल रहे जाली नोटों के कारोबार का ज़िक्र एक बार फिर छेड़ दिया है. असल में नोटबंदी के दौरान कई जानकारों ने ये दावा किया था कि अब नए नोटों की कॉपी कर पाना यानी जाली नोट बनाना धंधेबाजों के लिए इतना आसान नहीं होगा. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि तमाम दावों के बावजूद जाली नोटों का कारोबार बढ़ा है.
विदेशों के रास्ते भारत भेजी जाती है खेप
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकडों के मुताबिक दिल्ली में पिछले साल यानी 2021 में पुलिस ने 50 हज़ार के फेक करंसी नोट पकड़े. जिसकी कीमत करीब 2 करोड़ 5 लाख रुपये आंकी गई. दिल्ली पुलिस के सूत्रों की मानें तो जाली नोटों के कारोबारी बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश में नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान के रास्ते अपना जाल फैलाने की कोशिश करते रहे हैं. इसके अलावा धंधेबाज़ अब खाड़ी देशों के रास्ते भी भारत में जाली नोटों की तस्करी करने की कोशिश कर रहे हैं. नकली नोटों की खेप पहले हवाई रास्ते से भारत के पड़ोसी मुल्कों तक पहुंचाई जाती है और फिर वहां से बॉर्डर पार कर चोरी छुपे भारत भेजी जाती है.
पाबंदियों के बावजूद बाज नहीं आते तस्कर
धंधेबाज 1 लाख रुपये के जाली नोट 40 हज़ार रुपये में बेचते हैं और इनमें से ज़्यादातर नोट सौ से 500 के होते हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल देश में जाली नोटों के 639 मामले सामने आए थे. यानी ये धंधेबाज़ तमाम पाबंदियों के बावजूद बाज नहीं आ रहे हैं. वो कितने कामयाब हैं ये अंदाजा लगाने के लिए सिर्फ इतना ही जानना काफी है कि सिर्फ दिल्ली पुलिस ने ही जाली नोटों के धंधे में 1342 फीसदी का इजाफा दर्ज किया है. फिलहाल इतना ज़रूर है कि लाल मोहम्मद के कत्ल से भारतीय एजेंसियों ने राहत की सांस ज़रूर ली है.
आईएसआई का प्लान K2 बेनकाब
बात सिर्फ जाली नोटों तक ही नहीं है, सरहद पार से भारत के खिलाफ कई तरह से साजिशें की जाती हैं. हालांकि हर बार साजिश रचने वाले बेनकाब हो ही जाती हैं. दरअसल, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के प्लान K2 का राज पहले ही भारतीय एजेंसियों के सामने फाश हो चुका है. इस के-टू में एक के कश्मीर के लिए है और दूसरा खालिस्तान के लिए. इस प्लान के तहत कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के साथ खालिस्तान को भी जिंदा रखने की पूरी तैयारी है. वैसे भी पाकिस्तान से कश्मीर और पंजाब दोनों के बॉर्डर सटे हुए हैं. जहां गड़बड़ी फैलाना इन आतंकियों और पाक खुफिया एजेंसियों के लिए थोड़ा आसान होता है.
सिख चरमपंथियों की साजिश
आपको याद होगा कि साल 2020 में पाकिस्तान के इशारे पर पंजा साहिब की परिक्रमा के दौरान सिख चरमपंथियों की तरफ से ‘सिख रेफरेंडम 2020’ के झंडे लहराने की बात सामने आई थी. जिसके बाद इस मामले में नेशनल इनवेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए ने 9 दिसंबर 2020 को 16 लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की थी और अब पंजाब और आस-पास के इलाकों में जारी गड़बड़ी भी उसी का हिस्सा है.
गैंगस्टर-पाकिस्तान कनेक्शन
पंजाब में पिछले साल सितंबर से दिसंबर तक यानी चार महीनों में कुल 6 बम धमाके हुए थे. इसके अलावा टारगेट किलिंग और करोड़ों रुपये की ड्रग तस्करी के मामले भी आए. इसी साल 100 दिनों के भीतर कुल 158 हत्याएं हुई. 14 मार्च को इंटरनेशनल कबड्डी खिलाड़ी संदीप सिंह नंगल का मर्डर हुआ और 29 मई को पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला का कत्ल कर दिया गया. खुफिया एजेंसियों के अनुसार पंजाब में इस वक्त 1 दर्जन से ज्यादा गैंग सक्रिय हैं, जिनमें से 6 से ज्यादा गैंग के लीडर विदेश में छुपे बैठे हैं और वहीं से बैठ-बैठे ऑपरेट कर रहे हैं. अब नई जानकारी ये है कि अब ये फंडिंग और हथियार के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसएस के संपर्क में हैं.
खालिस्तानी आतंकी बना हरविंदर सिंह रिंदा का रोल
इस पूरे नेक्सस का सबसे बड़ा चेहरा और मोहरा गैंगस्टर से खालिस्तानी आतंकी बना हरविंदर सिंह रिंदा है, जो इन दिनों पाकिस्तान में बैठा है और आईएसआई की गोद में खेल रहा है. ये आतंकियों और गैंगस्टरों के संपर्क की सबसे बड़ी कड़ी है. इसका काम आतंक को बढाने के लिए नौजवानों का ब्रेनवॉश करना है. पंजाब और उत्तर भारत में ऐसे 70 से ज्यादा गैंग्स एक्टिव हैं और 500 से ज्यादा गैंगस्टर गुर्गे. इस काम के लिए ये वैसे लड़कों को टार्गेट करता है, जिनकी सोच बेहद कट्टर हो और जो किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हों.
भारत में अशांति फैलाने की साजिश
गन कल्चर, ड्रग्स और शोशेबाजी के चलते पंजाब के नौजवान ऐसे आतंकियों के सॉफ्ट टार्गेट बन चुके हैं, जिन्हें ये आतंकी रिझाने में लगे हैं. रिंदा लॉरेंस विश्नोई गैंग, गोल्डी बराड़ गैंग, लकी पटियाल गैंग, देविंदर बंबिहा गैंग, सुक्खा काहलों गैंग सरीखे क्रिमिनल सिंडिकेट्स को टार्गेट कर रहे हैं और भारत में गड़बड़ी फैलाने के लिए उन्हें मुंह मांगी कीमत देने का वादा कर रहे हैं, इनके जरिए और भी नौजवानों को जोड़कर सेलिब्रिटीज को निशाना बनाया जा रहा है. ताकि ज्यादा गड़बड़ी और ज्यादा अशांति फैलाई जा सके.
इंटेलिजेंस के रडार पर 6 गैंगस्टर
पंजाब इंटेलिजेंस ने सुरक्षा एजेंसियों और सतर्कता विभाग को हाल में एक बड़ा इनपुट दिया है. जिसके अनुसार पंजाब के ऐसे 6 गैंगस्टर हैं, जो किसी ना किसी तरीके से पाकिस्तानी एजेंसी के संपर्क में हैं. इनमें से 3 अमेरिका, जर्मनी और कनाडा में हैं जबकि 2 पाकिस्तान और एक बेल्जियम में हैं. यहीं से ये साजिश रच रहे हैं. इनके जरिए ही आधुनिक हथियार से लेकर ड्रग्स और गोला-बारूद तक पंजाब में पहुंचाया जा रहा है.