उत्तर प्रदेश के इटावा के सैफई से संसद तक पहुंचने वाले मुलायम सिंह यादव को राजनीति के बहुत ही मंझे हुए खिलाड़ी के रूप में जाना जाता है. कहते हैं कि कब, कहां और कैसे सियासी दांव चलना है मुलायम सिंह बहुत जल्द भांप लेते थे. लोहिया के आंदोलन से सियासी सफर शुरू करने वाले मुलायम सिंह ने समय की मांग को देखते हुए समाजवादी पार्टी का गठन किया. वे तीन बार यूपी के मुखिया रहे. केंद्र की संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी तो उन्होंने रक्षा मंत्री जैसे बहुत ही महत्वपूर्ण पद की जिम्मेदारी संभाली.
मुलायम सिंह के परिवार को यूपी ही नहीं देश में सबसे बड़े सियासी कुनबे के रूप में जाना जाता है. मुलायम सिंह ने अपने परिवार के हर उस शख्स को सियासी पारी खेलने का मौका दिया, जिसने इसमें रुचि दिखाई. मुलायम ने सिर्फ अपने बेटे-भाई को राजनीति में आगे नहीं बढ़ाया बल्कि उनके भतीजे, बहुएं, पोते सभी सक्रिय राजनीति में हैं. सबसे बड़ा नाम है अखिलेश यादव का.
अखिलेश यादव
मुलायम सिंह के सियासी वारिस के तौर पर अखिलेश यादव यूपी की राजनीति में स्थापित हैं. साल 2000 में अखिलेश यादव ने राजनीति में कदम रखा और कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार देश की संसद में पहुंचे. इसके बाद वे लगातार सांसद रहे. 2012 के विधानसभा चुनाव जीतकर अखिलेश यूपी के मुख्यमंत्री बने. वर्तमान में वे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.
डिंपल यादव
डिंपल यादव अखिलेश यादव की पत्नी और मुलायम सिंह यादव की बहू हैं. साल 2009 में उनकी राजनीतिक पारी का आगाज फिरोजाबाद सीट से हुआ, लेकिन वे चुनाव हार गईं. इसके बाद 2012 में अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने तो कन्नौज लोकसभा सीट से निर्विरोध चुनाव जीतकर डिंपल संसद पहुंचीं. 2014 में दोबारा से उन्होंने जीत दर्ज की. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में उनको इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार के सामने हार का सामना करना पड़ा.
शिवपाल यादव
मुलायम सिंह यादव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रखने वालों में शिवपाल सिंह यादव का नाम आता है. शिवपाल सपा संरक्षक मुलायम के सबसे छोटे भाई हैं और भाइयों में बेहद प्रिय भी. मुलायम के दौर में शिवपाल यादव की सपा में तूती बोलती थी. एक दौर में वो उनके सियासी वारिस भी माने जाते थे. मुलायम सरकार में शिवपाल नंबर दो की हैसियत रखते थे. कैबिनेट में तमाम मलाईदार विभाग उनके पास हुआ करते थे. हालांकि, भतीजे अखिलेश यादव से विवाद के चलते शिवपाल यादव ने सपा से नाता तोड़कर अपनी अलग प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बना ली है. शिवपाल साल 1996 से लगातार इटावा जिले की जसवंतनगर विधानसभा सीट से विधायक हैं. शिवपाल से पहले इस सीट से मुलायम सिंह चार बार विधायक रहे थे.
रामगोपाल यादव
सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के चचेरे भाई हैं. पेशे से अध्यापक रहे रामगोपाल यादव राज्यसभा सांसद हैं. उन्होंने इटावा के ब्लॉक प्रमुख के तौर पर अपना सियासी सफर शुरू किया और आज सपा संगठन के कर्ताधर्ता माने जाते हैं. 1992 में पहली बार राज्यसभा सदस्य बने और साल 2004 में मुलायम सिंह ने उनको संभल सीट से लोकसभा चुनाव लड़ाया, जहां से उन्होंने जीत दर्ज की. दिल्ली की सियासत में सपा के चेहरे और रणनीतिकार के तौर पर उन्हें ही माना जाता है.
धर्मेंद्र यादव
मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव पहली बार साल 2004 में मैनपुरी लोकसभा सीट से उपचुनाव जीतकर सांसद बने थे. धर्मेंद्र मुलायम के बड़े भाई अभय राम यादव के पुत्र हैं. मैनपुरी सीट मुलायम सिंह यादव के यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद इस्तीफे से रिक्त हुई थी. इसके बाद धर्मेंद्र बदायूं लोकसभा सीट से भी सासंद चुने गए, लेकिन 2019 में वे हार गए. उनको हाल ही में हुए लोकसभा उपचुनाव में आजमगढ़ सीट से भी लड़ाया गया, लेकिन वे जीत दर्ज नहीं कर सके.
अक्षय यादव
मुलायम सिंह के सियासी कुनबे में अक्षय यादव भी सांसद रह चुके हैं. अक्षय यादव सपा महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे हैं और मुलायम सिंह यादव के भतीजे. साल 2014 में अक्षय फिरोजाबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर पहली बार संसद पहुंचे, लेकिन 2019 में शिवपाल यादव के चुनाव मैदान में उतरने से वे हार गए.
तेज प्रताप यादव
मुलायम के भाई रणवीर सिंह यादव के बेटे तेज प्रताप साल 2014 में मैनपुरी सीट से उपचुनाव में जीत दर्ज कर सांसद बने थे. मुलायम सिंह यादव के सीट छोड़ने पर यहां उपचुनाव हुआ था. 2019 में मुलायम ने आजमगढ़ के बजाय मैनपुरी से चुनाव लड़ा था. मैनपुरी में मुलायम सिंह के प्रतिनिधि के तौर पर तेज प्रताप काम देखते हैं.
अपर्णा यादव
मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा यादव भी सियासत में हैं और इन दिनों बीजेपी में हैं. अपर्णा, मुलायम सिंह की दूसरी पत्नी साधना गुप्ता के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं. अपर्णा ने अपना सियासी सफर सपा से 2017 के चुनाव में लखनऊ कैंट सीट से शुरू किया था, लेकिन रीता बहुगुणा जोशी के हाथों वे हार गईं. अखिलेश यादव से सियासी अनबन के चलते उन्होंने सपा छोड़ दी और बीजेपी का दामन थाम लिया.
अभिषेक यादव
मुलायम सिंह यादव के भतीजे अभिषेक यादव (अंशुल यादव) इटावा जिला पंचायत के अध्यक्ष हैं. अंशुल यादव मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई राजपाल सिंह यादव के बेटे हैं. वो दूसरी बार इटावा की जिला पंचायत के अध्यक्ष बने हैं.
प्रेमलता यादव
मुलायम सिंह के छोटे भाई राजपाल यादव की पत्नीव प्रेमलता यादव भी सूबे की सियासत में किस्मत आजमा चुकी हैं. वो इटावा में जिला पंचायत अध्यूक्ष रह चुकी हैं. 2005 में प्रेमलता यादव ने राजनीति में कदम रखा. यहां उन्होंाने पहली बार इटावा की जिला पंचायत अध्यैक्ष का चुनाव लड़ा और जीत गईं. 2005 में राजनीति में आने के बाद ही प्रेमलता मुलायम परिवार की पहली महिला बन गईं, जिन्होंहने राजनीति में कदम रखा. 2016 में उनका निधन हो गया.
सरला यादव
मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव की पत्नी सरला यादव भी सियासत में हाथ आजमा चुकी हैं. उन्हें 2007 में जिला सहकारी बैंक इटावा की राज्य प्रतिनिधि बनाया गया था. सरला को दो बार जिला सहकारी बैंक का राज्य प्रतिनिधि बनाया गया. 2007 के बाद वे लगातार दूसरी बार चुनी गई थीं.
आदित्य यादव
मुलायम सिंह के भाई शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव सक्रिय राजनीति में हैं. शिवपाल की पार्टी प्रसपा के वे प्रदेश अध्यक्ष हैं. शिवपाल की तरह आदित्य यादव ने भी कोऑपरेटिव से अपनी सियासत शुरू की थी. यूपीपीसीएफ के वे चेयरमैन रहे हैं, पर विधानसभा या लोकसभा चुनाव नहीं लड़े.
संध्या यादव
मुलायम सिंह की भतीजी संध्या यादव ने जिला पंचायत अध्यक्ष के जरिए राजनीतिक एंट्री की है. संध्या यादव धर्मेंद्र यादव की बहन हैं और मैनपुरी से जिला पंचायत अध्यक्ष रही हैं. वे मौजूदा समय में बीजेपी में हैं.
अरविंद यादव
मुलायम की चचेरी बहन और रामगोपाल यादव की सगी बहन 72 वर्षीया गीता देवी के बेटे अरविंद यादव ने 2006 में सक्रिय राजनीति में कदम रखा और मैनपुरी के करहल ब्लॉक में ब्लॉक प्रमुख के पद पर निर्वाचित हुए थे.
शीला यादव
शीला यादव मुलायम के कुनबे की पहली बेटी हैं जिन्होंने राजनीति में प्रवेश किया. शीला यादव जिला विकास परिषद की सदस्य रही हैं. साथ ही बहनोई अजंत सिंह यादव बीडीसी सदस्य हैं.