सहकारिता विभाग के करोड़ो के घोटाले से जुड़े है तार…
उत्तर प्रदेश राज्य भण्डारण निगम द्वारा लखनऊ मंडल के अंर्तगत वर्ष 2022 म्रे बड़ा खाद्यान्न घोटाला कारित किया गया है जिसकी कमान फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र पर कार्यरत क्षेत्रीय प्रबंधक, लखनऊ सुभाष चंद्र पांडे के हाथों में है। सुभाष चंद्र पांडे फर्जी डिग्री/कूट रचित दस्तावेजो से हथियाई नौकरी के चलते करोड़ो रुपये का घोटाला किया गया है जिसकी भरपाई संभव नही है परन्तु उच्च अधिकारियों द्वारा जांच के नाम पर विगत अनेक वर्षो से सुभाष चन्द्र पाण्डे के फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्रों पर मिली नौकरी को अभयदान दिया जा रहा है।
भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग से दिनंाक 22.10.2022 को प्राप्त जानकारी के अनुसार सुभाष चंद्र पांडे की ई.आई.आई.एल.एम. विश्वविद्यालय, सिक्किम की परास्नातक, रसायन विज्ञान का अंक पत्र फर्जी है। संयुक्त निदेशक, उच्च शिक्षा विभाग, सिक्किम सरकार, गंगकटोक द्वारा प्रमाणित किया गया है कि यू.जी.सी. द्वारा रसायन विज्ञान हेतु ई.आई.आई.एल.एम. विश्वविद्यालय, सिक्किम को न तो अधिकृत किया गया और न ही मान्यता दी गयी है, अतः सुभाष चंद्र पांडे की डिग्री कूटरचित एवं फर्जी है।
संयुक्त निदेशक, उच्च शिक्षा विभाग, सिक्किम सरकार के विपरीत श्रीकान्त गोस्वामी, प्रबंध निदेशक, राज्य भण्डारण निगम द्वारा जनसूचना के अंर्तगत अवगत कराया कि निगम के पत्र सं.-16435 दिनांक 26.11.2014 द्वारा श्री सुभाष चन्द्र पाण्डे के एम.एस.सी. (रसायन विज्ञज्ञन) अंकपत्र के सत्यापन हेतु रजिस्ट्रार, ई.आई.आई.एल.एम. विश्वविद्यालय, सिक्किम को पत्र प्रेषित किया गया, जिसके क्रम में सम्बन्धित विश्वविद्यालय ने अपने कार्यालय पत्र सं.-439 दिनांक 12.12.2014 के माध्यम से श्री सुभाष चन्द्र पाण्डे के एम.एस.सी. वर्ष 2013 की अंकतालिका सत्यापित कर निगम को प्रेषित की गयी जो कूटरचित दस्तावेजों को प्रमाणित करता है। प्रबंध निदेशक द्वारा उपलब्ध करायी गयी जानकारी को कार्यालय रजिस्ट्रार, ई.आई.आई.एल.एम. विश्वविद्यालय, सिक्किम द्वारा फर्जी बताते हुये पत्र संख्या-439 को जाली बताया है और सुभाष चन्द्र पाण्डे नाम के किसी भी व्यक्ति को ई.आई.आई.एल.एम. विश्वविद्यालय, सिक्किम का वैध छात्र नही बताया है। (Mr. Subhash Chandra Pandey Post Graduate M.sc-Chemistry was not a bona fide student of the EIILM University- Verification Officer, Dr. Sunil Agarwal, Documentation & verification Department)
भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के पत्र दिनांक 22.10.2022, जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत यू.जी.सी. से प्राप्त जानकारी एवं कार्यालय रजिस्ट्रार, ई.आई.आई.एल.एम. विश्वविद्यालय, सिक्किम से प्राप्त ईमेल से प्रमाणित है कि उक्त यूनिवर्सिटी एम.एस.सी. (रसायन विज्ञान) के संचालन हेतु अधिकृत ही नही थी एवं सुभाष चन्द्र पाण्डे द्वारा उप प्रबंधक के पद पर नौकरी पाने हेतु परास्नातक की कूटरचित एवं फर्जी डिग्री का उपयोग किया गया है। सुभाष चंद्र पांडे द्वारा भण्डारण निगम के अन्य अधिकारियों द्वारा मिलीभगत कर कुटरचित दस्तावेजों एवं फर्जी पत्राचार रजिस्ट्रार, ई.आई.आई.एल.एम. विश्वविद्यालय, सिक्किम से संगठित अपराध कारित करने का कार्य किया गया है परन्तु उच्च अधिकारियों से घरेलू संबंध होने के नाते तमाम शिकायती पत्रों को दबा दिया जाता है जो मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार की ज़ीरो टॉलरेंस नीति के अनुरुप नही है। तीज त्योहार पर सुभाष चन्द्र पान्डे शासन प्रशासन में मंहगे उपहार देने के लिये जाने जाते है एवं भंडारण निगम के अनेक महत्वपूर्ण मामलों में अपना दखल रखते हुये मनमाने ढंग से पूरे निगम को चलाने के लिए कार्यालय में ख्याति प्राप्त है।
फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र पर नौकरी के कारण दिनांक 14.11.2018 को तत्कालीन प्रबंध निदेशक द्वारा विधिवत जांच करने के उपरांत कारण बताओ नोटिस जारी करते हुये दो दिन का उत्तर देने का अवसर सुभाष चन्द्र पाण्डे को प्रदान किया गया था लेकिन अपने रसूख के चलते लगभग 262 दिन उपरांत दिनांक 22.07.2019 को उत्तर उपलब्ध कराते हुये सुभाष चंद्र पाण्डे द्वारा पूरे मामले को ही समाप्त कर दिया गया।
ःभण्डारण निगम में उप प्रबंधक के पद पर फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र पर नौकरी प्राप्त किये जाने का मामला कोई नया नही है। निगम की उदारवादी नितीयों के चलते जाली दस्तावेजों एवं फर्जी पत्राचारों से विभागीय अधिकारी योगी सरकार के बुलडोजर से डरते नही दिखते। सुभाष चंद्र पाण्डें से पूर्व अभय सिंह पुत्र श्री आदित्य प्रकाश गंगवार बी.2/7 से.-एच, एल.डी.ए कालोनी कानपुर रोड लखनऊ का परास्नातक डिग्री अवैध पाये जाने के कारण नियुक्ति आदेश सं. 17574 दिनांक 16.01.2014 तत्काल प्रभाव से निरस्त करते हुए सेवायें समाप्त की गयी है परन्तु न तो कोई कानूनी कार्यवाही की गयी और न ही फ्राड से नियुक्ति लेकर लिया गया वेतन की वसूली के संबंध में कोई कार्यवाही की गयी जबकि उच्च न्यायालय द्वारा आदेशित किया गया है कि कोई भी स्वयं की गलती का लाभ नहीं ले सकता। बिना कानूनी अधिकार के किसी ने मिलीभगत व फ्राड से नियुक्ति लेकर वेतन लिया है तो उसे वापस करना चाहिए अन्यथा यह ग़लत तरीके से धनवान बनना होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीतियों की बात को बार बार कहने पर भी विभागीय अधिकारियों द्वारा साजिशन फर्जी मार्कशीट और कूट रचित दस्तावेजों पर कार्यरत सुभाष पाण्डे पर कार्यवाही ना करके भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र लगा कर नौकरी करने वालों पर बाबा का बुलडोजर चलना अति आवश्यक है क्योंकि ऐसे व्यक्तियों द्वारा न सिर्फ योग्य अभ्यर्थियों के हक का हनन किया जा रहा है बल्कि अपनी दूषित मानसिकता से पूरे विभाग को भ्रष्टाचार रुपी दीमक से खोखला किया जा रहा है।
सुभाष चन्द्र पांडे द्वारा कूटरचित दस्तावेज और जाली डिग्री ऐसे विश्वविद्यालय की बनायी गयी है जो परास्नतक केमिस्ट्री विषय के कोर्स संचालन हेतु यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त ही नही है, परन्तु प्रबंध निदेशक द्वारा फर्जी डिग्री की जांच को लंबित करते हुये अनेक महत्वपूर्ण कार्य सुभाष पाण्डें के हस्ताक्षर से सम्पादित कराया जाना गम्भीर प्रकरण है। सुभाष चंद्र पांडे के फर्जी शैक्षिक प्रमाण पत्र को कार्यालय के अन्य अधिकारियों द्वारा मिलीभगत कर सत्यापित करने का जो अपराध कारित किया गया है वो भारतीय दंड संहिता की अनेक धाराओं के अनुसार दंडनीय है जिसका संज्ञान लेते हुए तत्काल कानूनी कार्यवाही किया जाना चाहिये एवं नौकरी के पहले ही दिन से सेवाएं शून्य मानते हुए सेवाकाल के दौरान लिए गए वेतन व भत्तों की वसूली किया जाना चाहिये।