नई दिल्ली। चीन में कोरोना महामारी (Covid 19 Pandemic) ने एक बार फिर से दस्तक दे दी है जिससे पूरी दुनिया खौफ में आ गई है. चीन में हर दिन हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. वहां अगले तीन महीनों में 60 प्रतिशत आबादी के इस बीमारी की चपेट में आने की आशंका है. चूंकि कोरोना की शुरुआत चीन से ही हुई है इसलिए इन हालात को देखकर दुनिया भर के देश टेंशन में आ गए हैं.
क्या भारत को फिक्र करने की जरूरत है?
भारत में बड़े पैमाने में इस्तेमाल की गई कोविड वैक्सीन कोविशील्ड का निर्माण करने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के संस्थापक और सीईओ अदार पूनावाला का कहना है कि हमें घबराने की कोई जरूरत नहीं है.
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ”चीन में कोरोना के लगातार बढ़ते मामले चिंताजनक है. हमें अपने शानदार वैक्सिनेशन कवरेज और ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए घबराने की जरूरत नहीं है. हमें भारत सरकार और उनके दिशानिर्देशों पर भरोसा करना और उनका पालन करना जारी रखना चाहिए.”
भारत में BF.7 पहले से ही मौजूद है
चीन कोविड वायरस के सबसे बुरे दौर से जूझ रहा है. रिपोर्टों के अनुसार, चीन में तबाही मचा रहा कोरोना का स्ट्रेन BF.7 है जो ओमिक्रॉन का एक वैरिएंट है. यह कुछ ऐसा है जो एक साल से अधिक समय से हमारे बीच है.
लाइव साइंस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि BF.7, BA.5.2.1.7 का संक्षिप्त नाम है जो ओमिक्रॉन वैरिएंट BA.5 के परिवार का ही है. BF.7 को BA.1 और BA.2 सहित सभी वैरिएंट में सबसे अधिक संक्रामक माना जाता है.
एक्सपर्ट्स की राय, भारत को घबराने की जरूरत नहीं है
कोविड डेटा एनालिस्ट विजयानंद का दावा है, ”चीन में कहर बरपा रहा मौजूदा वैरिएंट Omicron Sublineages यानी ओमिक्रोन परिवार के BA.2.75, BA.5, BQ.1, XBB की तरह ही है. ये सभी वैरिएंट पूरी दुनिया में पहले से फैले हुए हैं. इसलिए चीन में इस संकट का भारत या बाकी दुनिया पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. ऐसे में चिंता या घबराहट की कोई वजह नहीं है.”
रिपोर्टों के अनुसार, भारत लगातार कोरोना के स्ट्रेन की जांच कर रहा है और भारत के SARS CoV 2 जीनोमिक निगरानी कार्यक्रम (INSACOG) से प्राप्त डेटा का आकलन कर रहा है.
चीन में इन वजहों से बिगड़े हालात
चीन में जीरो कोविड पॉलिसी और लॉकडाउन हटने के बाद से स्थिति बिगड़ती जा रही है. वहां 20 दिसंबर को कोरोना से मरने वालों की संख्या 5,241 हो गई और विशेषज्ञों का अनुमान है कि हालात और भी बदतर होंगे. दरअसल, उथल-पुथल भरी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए चीन ने बड़े पैमाने पर पाबंदियों को खत्म किया था. उसने यात्रा प्रतिबंधों को भी हटा दिया और यहां तक कि SARS-CoV-2 से पीड़ित लोगों को क्वारंटीन सेंटर में रखने के बजाय घर पर ही आईसोलेट करने की अनुमति दे दी है.
इतना ही नहीं चीन ने कोरोना की जांच की अनिवार्यता को भी खत्म कर दिया. वहां बड़े पैमाने पर वैक्सिनेशन भी नहीं हुआ है और ये सभी चीजें चीन में बिगड़े हालात के लिए जिम्मेदार हैं.
वहीं, एपिडेमियोलॉजिस्ट और हेल्थ इकोनॉमिस्ट डॉ. एरिक फीगल-डिंग ने इसके लिए चीन में बनी कोविड वैक्सीन की गुणवत्ता को जिम्मेदार ठहराया है.
चीन की हालत के लिए स्वदेशी वैक्सीन जिम्मेदार
उन्होंने कहा, ”इस समस्या का कारण चीन की स्वदेशी कोरोनावैक वैक्सीन ( चीन की फार्मा कंपनी सिनोवैक) और सिनोफार्म वैक्सीन है. आप खुद देखें कि तीन शॉट्स के बाद भी ओमिक्रॉन वेरिएंट के सामने ये वैक्सीन किस तरह बेअसर साबित हुई है.”
वाई चार्ट की रिपोर्ट के अनुसार चीन की लगभग 90 फीसदी आबादी को टीका लगाया जा चुका है, लेकिन अब सरकार अपने नागरिकों से इम्युनिटी बेहतर करने के लिए चौथी खुराक लेने का आग्रह कर रही है. हालांकि नेचर की रिपोर्ट बताती है कि चीन में 26 करोड़ से ज्यादा आबादी ऐसी है जिसकी उम्र 60 साल से ज्यादा है लेकिन वहां 60 साल और उससे ज्यादा उम्र के 70 फीसदी लोगों और 80 या उससे ज्यादा उम्र के 40 फीसदी लोगों को ही कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज लगी है.