तुर्की: जारी है मलबे में दबी एक-एक जिंदगी की तलाश… रेस्क्यू ऑपरेशन को मुकम्मल करने इंडियन आर्मी ने लगाई वक्त से रेस

भूकंप की मार झेल रहे तुर्की में इस समय सबसे बड़ी जंग मलबे में दबी जिंदगियों को बचाना है. तुर्की और सीरिया में आए भूकंप में अब तक 19,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. बीते 100 सालों की इस आपदा से तुर्की को बचाने के लिए दुनियाभर के 70 देश आगे आए हैं, जिनमें भारत भी शामिल है. भारतीय सेना और एनडीआरएफ की टीमों ने मोर्चा संभाल लिया है. भारत ने इसे ऑपरेशन दोस्त का नाम दिया है.

तुर्की में भारतीय सेना बनी मसीहा

ऑपरेशन दोस्त के तहत तुर्की के हताय प्रांत में भारतीय सेना का 60 पैरा फील्ड अस्पताल घायलों से खचाखच भरा है. यहां 99 सदस्यों की भारतीय सेना की एक मेडिकल टीम मौजूद है, जिसमें एक महिला सहित 13 डॉक्टर 24 घंटे सेवाएं दे रहे हैं. यह टीम अभी तक 150 घायलों का इलाज कर चुकी है.

भारतीय सेना के इसी फील्ड अस्पताल में छह साल की नसरीन को लाया गया. नसरीन सोमवार से ही मलबे के ढेर में दबी हुई थी. तीन दिन बाद नसरीन को रेस्क्यू कर यहां लाया गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है. नसरीन की मां को भी रेस्क्यू किया गया. लेकिन उनके दो भाई अभी भी लापता हैं.

तुर्की की 20 साल की इलायना को भी भारत के फील्ड अस्पताल लाया गया है. इलायना 72 घंटों से मलबे में दबी हुई थी. भारतीय सेना इलायना को रेस्क्यू कर अस्पताल लेकर आई. उनका इलाज कर रहे डॉक्टर का कहना है कि जब वह यहां आई तो उनके शरीर में पानी की कमी थी. कई हड्डियां टूटी हुई थीं.

भारत और तुर्की सेना साथ-साथ 

भूकंपग्रस्त तुर्की में सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन में तुर्की और भारत की सेना एक साथ ग्राउंड जीरो पर डटी हुई है. मलबे में दबे घायलों की तलाश की जा रही है और उन्हें समय रहते बाहर निकालने की जद्दोजहद भी की जा रही है.

तुर्की में रेस्क्यू अभियान को अंजाम दे रही सेना के एक अधिकारी कहते हैं कि जैसे ही यहां लोगों को पता चला कि भारतीय सेना और एनडीआरएफ की टीमें मदद के लिए आ चुकी हैं तो लोग हमारे पास आ रहे हैं. स्थानीय लोग रेस्क्यू टीमों को अपने वाहनों में बैठाकर उन जगहों पर ले जा रहे हैं, जहां उन्हें लगता है कि उनके अपने मलबे में दबे हो सकते हैं.

तुर्की को भारत की मदद

भारत इस संकट में लगातार तुर्की की मदद कर रहा है. भारत ने तुर्की को राहत सामग्री भेजी है. इसके साथ ही 150 प्रशिक्षित सैन्यकर्मियों की तीन टीमें, डॉग स्क्ववॉड,  अत्याधुनिक उपकरण, वाहन और अन्य जरूरी सप्लाई भेजी है. भारत ने जो उपकरण तुर्की भेजे हैं, वे दरअसल मलेब में दबे लोगों को सर्च करने में उपयोगी साबित होंगे.

भारतीय सेना की मुश्किलें

भारतीय सेना की टीमें बचाव अभियान में जुटी हैं. रेस्क्यू टीम से जुड़े डॉक्टरों का कहना है कि जब हम यहां आए थे तो हालात बहुत खराब थे. लगातार आफ्टशॉक आ रहे थे. बिजली बिल्कुल नहीं थी. पानी की सप्लाई नहीं थी. हमें एक ऐसी बिल्डिंग या लोकेशन की तलाश थी, जहां से हम फील्ड अस्पताल को ऑपरेट कर सकें.

उन्होंने बताया कि हम बीते तीन दिनों से दिन-रात एक कर घायलों का इलाज कर रहे हैं. यहां दो से तीन दिन मलबे में दबे घायलों को लाया जा रहा है, जिन्होंने तीन दिनों से ना कुछ खाया है, ना कुछ पीया है. उनकी हड्डियां टूटी हुई हैं. इस तरह चुनौतियां तो थीं लेकिन उन्हें मैनेज किया गया.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तुर्की में राहत एवं बचाव कार्यों को अंजाम दे रही भारतीय सेना और एनडीआरएफ की हौसलाअफजाई की.
गृहमंत्री ने ट्वीट कर कहा कि हमारी एनडीआरएफ पर गर्व है. तुर्की में रेस्क्यू ऑपरेशन में भारतीय रेस्क्यू टीम ने गांजियाटेप से छह साल की बच्ची बेरेन को मलबे से बाहर निकाला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशानिर्देश के तहत हम एनडीआरएफ को दुनिया की सबसे अग्रणी डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.