रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से जिसने भी पंगा लिया…किसी न किसी बहाने उनमें से हर कोई मारा गया। पुतिन के सारे विद्रोहियों के मारे जाने के बाद फिर उनकी मौत का रहस्य कभी नहीं खुल सका। रूस में निजी सेना वैगनर ग्रुप के प्रमुख येवगिनी प्रिगोझिन ने भी पुतिन से बगावत कर ली थी। हालांकि बाद पुतिन और प्रिगोझिन का समझौता हो गया था। मगर पश्चिमी देशों की ओर से तभी कहा गया था कि समझौते के बाद भी पुतिन प्रिगोझिन को माफ नहीं करेंगे, क्योंकि राष्ट्रपति कभी भी अपने विद्रोहियों को माफ नहीं करते हैं। अब तीन दिन पहले वैगनर ग्रुप के आर्मी चीफ येवगिनी प्रिगोझिन की भी एक विमान हादसे में रहस्यमई तरीके से मौत हो गई है। प्रिगोझिन ने भी पुतिन से भारी दुश्मनी मोल ले ली थी।
क्रेमलिन से पंगा मतलब मौत को दावत
क्रेमलिन (रूसी राष्ट्रपति कार्यालय) से पंगा लेने का मतलब अपनी जान गवांना भी कह सकते हैं। कई बार क्रेमलिन का विरोध करने वाले, उसके राजनीतिक आलोचक, सत्ता का साथ छोड़कर दूसरे पक्ष के लिए जासूस बने लोग और खोजी पत्रकार वर्षों से अलग-अलग तरह के हमलों के शिकार हो रहे हैं, जिनमें कुछ जीवित बचे तो कई की मौत तक हो गई। इन लोगों के खिलाफ ना सिर्फ पोलोनियम मिली चाय या जानलेवा नर्व एजेंट जैसे तरीको का उपयोग किया जाता है, बल्कि कुछ तो मकानों की खिड़कियों से छलांग भी लगा देते हैं। हालांकि, अभी तक किसी के भी हवाई दुर्घटना में मारे जाने की सूचना नहीं है। लेकिन बुधवार को एक लड़ाका समूह वैगनर के प्रमुख प्रिगोझिन को लेकर जा रहा एक निजी विमान जरूर हजारों फुट की ऊंचाई पर टूटने के बाद गिर गया। प्रिगोझिन ने पुतिन से बगावत की थी।
25 वर्ष से पुतिन की सत्ता के दौरान दुश्मनों की रहस्यमयी मौत का सिलसिला जारी
करीब 25 साल की सत्ता के दौरान राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के दुश्मनों की हत्या का प्रयास या उनकी संदिग्ध मौत बेहद सामान्य बात रही है। पीड़ितों/मृतकों के करीबियों और जीवित बचे कुछ लोग इनके लिए रूसी प्रशासन को जिम्मेदार बताते हैं, लेकिन क्रेमलिन ने हमेशा इनमें अपनी संलिप्तता से इंकार किया है। ऐसी भी कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें रूसी प्रशासन के शीर्ष पदाधिकारी संदिग्ध परिस्थितयों में खिड़कियों से गिर गए, लेकिन यह हत्या का मामला है या आत्महत्या का, यह सुनिश्चित कर पाना मुश्किल है। क्योंकि पुतिन से पंगा लेने वालों की संदिग्ध मौतों का रहस्या कभी खुलता ही नहीं है।
कुछ ऐसे मामले हैं रिकॉर्ड में
केस 1.फरवरी 2015 में हुई बोरिस नेम्त्सोव की हत्या सबसे महत्वपूर्ण है। कभी बोरिस येल्त्सिन के कार्यकाल में उपप्रधानमंत्री रहे नेम्त्सोव लोकप्रिय राजनेता और पुतिन के मुखर आलोचक थे। फरवरी 2015 में एक रात अपनी प्रेमिका के साथ क्रेमलिन के सामने टहल रहे नेम्त्सोव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। चेचन्या के रूसी नियंत्रण वाले क्षेत्र के पांच लोगों को इस मामले में दोषी करार दिया गया था। गोली चलाने वाले को अधिकतम 20 साल की सजा सुनायी गई थी। लेकिन नेम्त्सोव के सहयोगियों का कहना था कि सरकार ने अपना दोष उनके सिर पर मढ़ दिया।
केस 2. वर्ष 2016 में केजीबी और सोवियत संघ टूटने के बाद बनी रूसी खुफिया एजेंसी एफएसबी के पूर्व एजेंट और रूस से गद्दारी करने वाले एलेक्सजेंडर लित्विनेंको लंदन में रेडियोधर्मी पोलोनियम-210 से युक्त चाय पीने के बाद बीमार हो गए और तीन सप्ताह बाद उनकी मौत हो गई। वह रूसी पत्रकार एना पोलित्कोव्स्काया की हत्या और संगठित अपराध के साथ रूसी खुफिया विभाग के बीच कथित संबंधों की जांच कर रहे थे। मृत्यु से पहले लित्विनेंको ने पत्रकारों को बताया था कि एफएसबी अभी भी सोवियत संघ काल की जहर प्रयोगशालाओं का संचालन कर रहा है। ब्रिटेन की जांच में सामने आया कि लित्विनेंको की हत्या एक रूसी एजेंट ने संभवत: पुतिन की अनुमति से की है, लेकिन क्रेमलिन ने किसी भी संलिप्तता से इंकार किया।
केस 3. रूसी खुफिया विभाग के एक अन्य पूर्व अधिकारी सेर्गेई स्क्रीपल को 2018 में ब्रिटेन में जहर दे दिया गया। वह और उनकी वयस्क बेटी युलिया सॉल्जबरी में बीमार हो गए और कई सप्ताह तक उनकी हालत नाजुक बनी रही। दोनों बाप-बेटी सुरक्षित बच गए, लेकिन इस हमले में एक ब्रिटिश महिला की मौत हो गई। जबकि एक व्यक्ति और एक पुलिसकर्मी गंभीर रूप से बीमार हो गए। प्रशासन का कहना है कि बाप-बेटी को सैन्य श्रेणी का नर्व एजेंट ‘नोविचोक’ दिया गया था। ब्रिटेन ने इसके लिए रूसी खुफिया एजेंसी को जिम्मेदार बताया लेकिन मास्को ने इससे साफ इंकार कर दिया था।
केस 4. इतना ही नहीं रूसी प्रशासन की आलोचना करने वाले कई पत्रकारों की भी हत्या कर दी गई है या भी उनकी रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई है। ‘नोवाया गैजेट’ अखबार की पत्रकार एन्ना पोलित्कोव्स्काया की पुतिन के जन्मदिन के दिन सात अक्टूबर, 2006 को मास्को में उनकी अपार्टमेंट बिल्डिंग की लिफ्ट में गोली मारकर हत्या कर दी गई। उन्हें चेचन्या में मानवाधिकार उल्लंघन की खबरें लिखने के लिए अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली थी। ‘नोवाया गैजट’ के ही एक अन्य पत्रकार युरी श्चेकोचिखिन की अचानक गंभीर रूप से बीमार होने के बाद 2003 में मृत्यु हो गई। श्चेकोचिखिन व्यापार सौदों में भ्रष्टाचार और 1999 में अपार्टमेंट हाउस बमबारी मामले में रूसी सुरक्षा बलों की संभावित भूमिका की जांच कर रहे थे।
केस 5. अब बुधवार को हुए विमान हादसे में रूस के लड़ाका समूह निजी सैन्य कंपनी ‘वैगनर’ के प्रमुख येवगिनी प्रिगोझिन और उसके दो शीर्ष लेफ्टिनेंट भी मारे गए हैं। प्रिगोझिन ने दो महीने पहले ही रूसी राष्ट्रपति के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह किया था, जिसे पुतिन ने ‘‘पीठ में छुरा भोंकना’ और ‘देशद्राह’ बताया था। अमेरिकी और पश्चिमी देशों के अधिकारियों के अनुसार, अमेरिकी खुफिया विभाग की शुरुआती जांच में बृहस्पतिवार को पता चला कि विमान हादसे में उसमें सवार सभी 10 लोग मारे गए हैं और यह दुर्घटना जानबूझकर किए गए विस्फोट के कारण हुई है। अधिकारियों ने पहचान गुप्त रखने की शर्त पर जानकारी साझा की, क्योंकि उन्हें टिप्पणी करने का अधिकार प्राप्त नहीं है।
जो बचे उन्हें झेलनी पड़ी जेल की यातना
राष्ट्रपति पुतिन से पंगा लेने वाले जो विरोधी किसी तरह बच गए। बाद में उन्हें जेल जैसी कई यातनाएं झेलनी पड़ीं। इनमें से कुछ मामले उदाहरणस्वरूप प्रस्तुत हैं।
केस 1.अगस्त 2020 में विपक्ष के नेता एलेक्सी नवलनी साइबेरिया से मॉस्को की यात्रा के दौरान विमान में बीमार हो गए थे। विमान को ओम्स्क में उतारा गया जहां नवलनी को बेहोशी की हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। दो दिन बाद उन्हें हवाई मार्ग से जर्मनी ले जाया गया, जहां उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ। विपक्षी नेता के सहयोगियों ने तत्काल ही कहा था कि उन्हें जहर दिया गया है, लेकिन रूसी अधिकारियों ने इससे इंकार किया। जर्मनी, फ्रांस और स्वीडन की प्रयोगशालाओं ने इसकी पुष्टि की है कि नवलनी पूर्ववर्ती सोवियत संघ में उपलब्ध नर्व एजेंट ‘नोवीचोक’ के संपर्क में आए थे। नवलनी इस महीने रूस लौटे हैं और उन्हें चरमपंथ का दोषी करार देते हुए 19 साल कारावास की सजा सुनायी गई है। पिछले दो साल में उन्हें तीसरी बार दोषी करार दिया गया हैं। हालांकि वह इन सभी आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हैं। वह पुतिन के विरोधी थे।
केस 2. इसी तरह वर्ष 2018 में प्रदर्शन समूह ‘पुसी रॉयट’ के संस्थापक प्योत्र वेर्जिलोव गंभीर रूप से बीमार हो गए थे और उन्हें भी जर्मनी ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने आशंका जतायी कि यह भी जहर देने का मामला हो सकता है। अंतत: वह स्वस्थ हो गए। विपक्ष के महत्वपूर्ण नेता व्लादिमिर कारा-मुर्जा 2015 और 2017 में बाल-बाल बचे और उनका मानना है कि दोनों साल उन्हें जहर देने की कोशिश की गई। वहीं 2017 में भी उन्हें ऐसी ही बीमारी के लिए अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था और डॉक्टरों को उन्हें दवाओं की मदद से बेहोश रखना पड़ा था। उनकी पत्नी ने कहा कि डॉक्टरों ने उन्हें जहर दिए जाने की पुष्टि की है। कारा-मुर्जा हालांकि सुरक्षित बच गए और उनके वकील का कहना है कि पुलिस ने घटना की जांच करने से इंकार कर दिया। उन्हें इस साल देशद्रोह का दोषी करार देते हुए 25 साल कैद की सजा सुनायी गई।