नई दिल्ली। मणिपुर में 150 दिन बाद भी हिंसा का दौर नहीं थमा है. दोनों छात्रों की मौत पर एक बार फिर मणिपुर सुलग उठा है. मंगलवार से हिंसक विरोध प्रदर्शन ने राजधानी इम्फाल को हिलाकर रख दिया है. मैतेई और कुकी समुदाय के बीच दरार कम नहीं हो रही है. शांति की अपीलें भी दम तोड़ रही हैं. शासन से लेकर प्रशासन तक की सारे कदम फेल साबित हो रहे हैं. कई क्षेत्रों में एक बार फिर कर्फ्यू लगाना पड़ा है. उग्रवादियों की कमर तोड़ने के लिए जगह-जगह छापे मारे जा रहे हैं. 20 से ज्यादा विधायकों ने केंद्र से एक्शन लेने की मांग उठाई है. जानिए मणिपुर में चल क्या रहा है…
बता दें कि मणिपुर की राजधानी इम्फाल में मंगलवार से बवाल हो रहा है. बीते रोज नाराज भीड़ ने बीजेपी दफ्तर फूंक दिया. डिप्टी कमिश्नर के दफ्तर में तोड़फोड़ की और सीएम एन बीरेन सिंह के पैतृक घर जलाने की भी कोशिश की है. दरअसल, इस सप्ताह की शुरुआत में सोशल मीडिया पर दो स्टूडेंट्स (लड़का-लड़की) के शवों की तस्वीरें सामने आई हैं, जिसके बाद से मैतेई समाज में नाराजगी बढ़ गई और हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए. ये दोनों स्टूडेंट्स जुलाई से लापता थे. वायरल तस्वीरों में एक में दोनों स्टूडेंट्स जमीन पर बैठे हैं और उनके पीछे दो हथियारबंद लोग खड़े हैं. एक अन्य तस्वीर में दोनों स्टूडेंट्स के शव देखे गए हैं. भीड़ का कहना है कि दोनों की हत्या की गई है और सिक्योरिटी फोर्स मणिपुर की सुरक्षा में खलल डाल रहे हैं. लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है.
वहीं, इम्फाल घाटी में सुरक्षा प्रतिबंधों और कर्फ्यू के बावजूद भीड़ का गुस्सा शांत नहीं हो रहा है. गुरुवार रात भीड़ ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के खाली पैतृक घर पर हमला करने की कोशिश की. सुरक्षाबलों ने मोर्चा संभाला और कई राउंड आंसू गैस के गोले दागे और लोगों को आवास से 100-150 मीटर दूरी पर रोक लिया. हालांकि, मुख्यमंत्री वहां नहीं रहते हैं. वे इम्फाल में परिवार समेत सरकारी आवास में रहते हैं. भीड़ को हटाने के लिए पूरे क्षेत्र में बिजली सप्लाई बंद कर दी गई है. घर के पास और ज्यादा बैरिकेड्स लगा दिए गए. प्रदर्शनकारियों ने बीच सड़क पर टायर जलाकर हंगामा किया. इससे पहले गुरुवार तड़के इम्फाल पश्चिम जिले में भीड़ ने डिप्टी कमिश्नर के दफ्तर में तोड़फोड़ की और दो चारपहिया वाहनों में आग लगा दी. प्रदर्शनकारियों ने भारत-म्यांमार सड़क मार्ग को भी अवरुद्ध कर दिया था.
‘मणिपुर के आईपीएस की जम्मू-कश्मीर से वापसी’
इम्फाल घाटी में उग्रवादियों को खुलेआम घूमते और भीड़ को भड़काते देखा जा रहा है. इस बीच, भीड़ को काबू में करने के लिए सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है. श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राकेश बलवाल को वापस मणिपुर भेजा गया है. राकेश को आतंक से संबंधित मामलों को संभालने में अच्छा खासा अनुभव है. 2012 बैच के आईपीएस अधिकारी को मणिपुर में एक नई पोस्टिंग सौंपी जाएगी. कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए सरकार ने मंगलवार से अगले पांच दिनों के लिए मणिपुर में इंटरनेट सेवाओं पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया है.
‘तीन दिन की हिंसा में 65 प्रदर्शनकारी घायल’
इससे पहले बुधवार को सरकार ने दो जिलों इंफाल पूर्व और पश्चिम में फिर से कर्फ्यू लगा दिया. सुरक्षा बलों ने हिंसक विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए बल प्रयोग किया, जिसमें मंगलवार से अब तक 65 प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं. मणिपुर सरकार के पास शिकायतें की गई हैं कि पिछले दो दिनों में सुरक्षा बलों की तरफ से प्रदर्शनकारियों, खासतौर पर छात्रों पर कथित अत्यधिक बल का प्रयोग किया जा रहा है. इस मामले में डीजीपी की ओर से जारी आदेश में कहा गया है, कमेटी की अध्यक्षता आईजीपी (प्रशासन) के. जयंत करेंगे. यह कमेटी जल्द से जल्द रिपोर्ट सौंपेगी.
‘शरारती तत्वों से सख्ती से निपटेगी पुलिस’
मणिपुर पुलिस ने एक बयान में कहा, राज्य में कानून व्यवस्था पर चर्चा के लिए सीएपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक आयोजित की गई है. अधिकारियों को छात्रों के साथ-साथ सुरक्षा कर्मियों की दुर्भाग्यपूर्ण चोटों से अवगत कराया गया. सुरक्षाबलों ने जनता, विशेषकर छात्रों से निपटने में न्यूनतम बल का उपयोग करने पर चर्चा की. पुलिस ने छात्रों से शांति बनाए रखने और सामान्य स्थिति वापस लाने में एजेंसियों का सहयोग करने की अपील की और कहा, मौजूदा स्थिति का फायदा उठाने वाले किसी भी शरारती तत्व से पुलिस सख्ती से निपटेगी.
‘CBI को जांच… मणिपुर के विधायकों का दिल्ली में डेरा’
सीबीआई की एक टीम भी दो स्टूडेंट्स की हत्या के मामले में जांच कर रही है. दिल्ली से वरिष्ठ अधिकारी मणिपुर जाएंगे. राज्य में करीब पांच महीने से जातीय संघर्ष चल रहा है. वहीं, दिल्ली में डेरा डाले हुए मणिपुर के 20 से ज्यादा विधायकों ने केंद्र से दो स्टूडेंट्स के अपहरण और हत्या के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया है. विधायकों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से यह सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया है कि सीबीआई जांच में तेजी लाई जाए. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने एक बयान में कहा, केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काम कर रही हैं. दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा. जल्द ही सभी आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा.
मणिपुर में 3 मई को सबसे पहले जातीय हिंसा भड़की थी. राज्य में अब तक 180 से ज्यादा लोग मारे गए हैं. कई सौ घायल हुए हैं. हिंसा की शुरुआत तब हुई, जब बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था. मणिपुर की आबादी में मैतेई की संख्या करीब 53 प्रतिशत है. वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं. जबकि नागा और कुकी आदिवासी 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
– मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में फिर से सख्त निगरानी में रखा गया है. यहां सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) को 6 माह के लिए और बढ़ा दिया गया है. जबकि मुख्य रूप से घाटी के 19 पुलिस स्टेशनों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है. राज्य में AFSA इसी माह 30 सितंबर को खत्म होने वाला था, लेकिन ताजा हिंसा के चलते सरकार ने यह कदम उठाया है.
– अधिसूचना में कहा गया है कि मौजूदा कानून व्यवस्था का विश्लेषण करने के बाद राज्य सरकार की राय है कि जमीनी स्तर पर विस्तृत मूल्यांकन करना समीचीन नहीं है. सुरक्षा एजेंसियां कानून-व्यवस्था बनाए रखने में व्यस्त हैं. पहाड़ी क्षेत्रों में AFSPA के विस्तार से पहले आदिवासी क्षेत्रों के 20 से ज्यादा उग्रवादी समूहों ने केंद्र और राज्य सरकार के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (SoO) समझौता किया है.
– जिन इलाकों को AFSPA के दायरे से बाहर रखा गया है, वहां बहुसंख्यक मैतेई समुदाय का दबदबा है, जिसमें असम की सिलचर घाटी से सटा जिरीबाम भी शामिल है. अधिसूचना के बाद अब सेना और असम राइफल्स, राज्य पुलिस की सहमति के बिना 19 पुलिस स्टेशनों के तहत क्षेत्रों के अंदर काम नहीं कर सकते हैं.
– वे पुलिस स्टेशन क्षेत्र जहां अशांत क्षेत्र अधिनियम लागू नहीं किया गया है. यानी AFSPA से बाहर रखा गया है. उनमें इम्फाल, लाम्फेल, सिटी, सिंगजामेई, सेकमाई, लैमसांग, पास्टोल, वांगोई, पोरोम्पैट, हेंगांग, लामलाई, इरिबुंग, लीमाखोंग, थौबल, बिष्णुपुर, नंबोल, मोइरंग, काकचिन और जिरबाम का नाम शामिल है.
– सूत्र बताते हैं कि सुरक्षा अधिकारी पूरे राज्य को सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (एएफएसपीए) के तहत लाने की वकालत कर रहे हैं, ताकि वे आसानी से यह सुनिश्चित कर सकें कि इम्फाल घाटी के अंदर उग्रवादी समूहों का मूवमेंट कम हो या समाप्त किया जा सके.
– सुरक्षा एजेंसियां चेतावनी देती रही हैं कि राज्य की इम्फाल घाटी में प्रतिबंधित उग्रवादी समूह यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएफ) और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए), कांगलेई यावोल कनबा लूप (केवाईकेएल), पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेइपाक (पीआरईपीएके) और केसीपी अपना आधार बना रहे हैं. सूत्र कहते हैं ये ग्रुप मणिपुर में तनाव फैलाने की कोशिश में हैं. किसी भी विरोध प्रदर्शन के दौरान भीड़ में उग्रवादियों को शामिल होने की कोशिश करते हैं.
– वर्तमान में यूएनएलएफ के पास कैडर की संख्या 330 है. पीएलए के पास 300 और केवाईकेएल के पास 25 कैडर हैं जो बहुसंख्यक समुदाय के समूहों में सक्रिय तौर पर काम कर रहे हैं.
– इन प्रतिबंधित संगठनों के कैडरों को जबरदस्त समर्थन दिया जा रहा है. 24 जून को जब सेना और असम राइफल्स ने खुफिया जानकारी के आधार पर पूर्वी इम्फाल में केवाईकेएल के 12 सदस्यों को पकड़ा लिया था. इनमें खुद को ग्रुप का बड़ा पदाधिकारी बताने वाला मोइरांगथेम तम्बा उर्फ उत्तम भी शामिल था. उत्तम 2015 में 6 डोगरा रेजिमेंट पर घात लगाकर किए गए हमले के मास्टरमाइंड में से एक था, जिसमें सेना के 18 जवान मारे गए थे.
– अधिकारियों का कहना है कि ऐसी आशंका है कि मणिपुर पुलिस शस्त्रागार से लूटे गए हथियार और गोला-बारूद इन आतंकवादी समूहों के पास आ सकते हैं. लूटे गए हथियारों में .303 राइफल, मीडियम मशीन गन (एमएमजी) और एके असॉल्ट राइफल, कार्बाइन, इंसास लाइट मशीन गन (एलएमजी), इंसास राइफल, एम-16 और एमपी 5 राइफल शामिल हैं.
– पूर्वी इम्फाल के पांगेई में मणिपुर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र (एमटीपीसी), इम्फाल शहर के खाबेइसोई में स्थित 7वीं इंडिया रिजर्व बटालियन और 8वीं मणिपुर राइफल्स के करीब 4,537 हथियार और 6.32 लाख गोला-बारूद मुख्य रूप से गायब है.
– मणिपुर इंटीग्रिटी पर समन्वय समिति (COCOMI) ने छात्र प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आरएएफ और सुरक्षा बलों के बल प्रयोग की निंदा की और इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन करार दिया है. विरोध प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों की तरफ से ‘मल्टीपल पैलेट गोलियां’ चलाई गईं. दो स्कूली छात्र बुरी तरह घायल हो गए. डॉक्टर्स ने बताया कि एक छात्र के सिर के पीछे तीस से अधिक छर्रे लगे थे. जबकि दूसरे छात्र के कंधा पर घातक हथियार से अटैक किया गया.
– मणिपुर में छह छात्र संगठनों ने गुरुवार को बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया. इनमें ऑल मणिपुर स्टूडेंट्स यूनियन (एएमएसयू), डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स अलायंस ऑफ मणिपुर (डीईएसएएम), कांगलेइपक स्टूडेंट्स एसोसिएशन (केएसए), मणिपुर स्टूडेंट्स फेडरेशन (एमएसएफ), अपुनबा इरेइपकी महेइरोई सिनपंगलुप (एआईएमएस) और कंगलेइपाक छात्र संघ (एसयूके) शामिल थे.
‘मणिपुर में अवैध प्रवासियों को हटाने की मांग?’
– डीईएसएएम के अध्यक्ष लीशांगथेम लामयांबा ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य और केंद्र सरकारों ने दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं की. जब तक सरकार राज्य से नार्को-आतंकवाद को खत्म नहीं कर देती, तब तक छात्र संगठन विभिन्न प्रकार के आंदोलन में हिस्सा लेगा. उन्होंने मणिपुर से अवैध प्रवासियों (भारतीय नागरिक नहीं) का पता लगाने और शरणार्थियों को हटाने की भी अपील की. मणिपुर में एनआरसी भी लागू किए जाने की मांग की गई है.
‘मणिपुर में शरणार्थियों की हो रही एंट्री?’
विरोध स्थल पर छात्रों को ‘हम न्याय चाहते हैं’, ‘मणिपुर लंबे समय तक जीवित रहे’, ‘केंद्रीय बल वापस जाओ’, ‘बलों की अत्यधिक कार्रवाई की निंदा करते हैं, एनआरसी लागू करें’ जैसे नारे लगाते हुए सुना गया. मणिपुर में शरणार्थियों का डेटा जुटाया जा रहा है. चूंकि राज्य में बड़े स्तर पर शरणार्थियों की भी एंट्री हो रही है. ये लोग म्यांमार बॉर्डर से प्रवेश कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि ये लोग ही समुदाय को आपस में भड़का रहे हैं और हिंसा की वजह बन रहे हैं. हालांकि, सरकार का कहना है कि बायोमेट्रिक तैयार कर शरणार्थियों को वापस भेजा जाएगा.
परिजन बोले- ‘अंतिम संस्कार के लिए कुछ तो निशानी लाओ’
इम्फाल घाटी में मारे गए दोनों स्टूडेंट्स के माता-पिता ने मार्मिक अपील की है. उन्होंने अपने बच्चों की कुछ निशानी (अवशेष) लाने की मांग की है, ताकि सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार किया जा सके. उन्होंने उम्मीद जताई है कि सीबीआई जांच में यह पता चल जाएगा कि बच्चों के शव कहां हैं. 18 वर्षीय लड़की हिजाम लिनथोइनगांबी के पिता हिजाम कुलजीत ने कहा, हम बस अपने बच्चों को आखिरी बार देखना चाहते हैं. उनका अंतिम संस्कार उस गरिमा के साथ करना चाहते हैं जिसके वे हकदार हैं. नुकसान की भरपाई कोई नहीं कर सकता. मैतेई प्रथा के अनुसार, अंतिम संस्कार करने और विदाई देने के लिए उनके पहने हुए कपड़ों का कम से कम एक छोटा सा हिस्सा जरूरी होता है.
‘कुकी इलाके में ट्रैक हुए थे दोनों के फोन’
कुलजीत ने कहा, जब भी मैं उसकी तस्वीर देखता हूं तो मैं पूरी तरह से बेचैन हो जाता हूं. मुझे अपने दिल में शांति नहीं मिलती. उसकी मां हमारी बेटी की तस्वीर को गले लगाते हुए सुध-बुध खो बैठी है. बिस्तर पर बेसुध पड़ी रहती हैं. दोनों 6 जुलाई को लापता हो गए थे. आखिरी बार बिष्णुपुर जिले के नंबोल में सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में देखा गया था. पुलिस ने उनके फोन कुकी बाहुल्य इलाके चुराचांदपुर जिले के लमदान में ट्रैक किए थे. कुलजीत ने पूछा, पहले हमें लगा कि वे घर भाग गए हैं, लेकिन लड़के के परिवार से संपर्क करने के बाद हमें कुछ आशंकाएं हुईं. मुझे समझ नहीं आता कि उन्हें क्यों मारना पड़ा.
‘आज भी बच्चों के लिए खाना बनाते हैं परिजन’
इस बीच, 20 वर्षीय लड़के फिजाम हेमजीत का परिवार भी गम में डूबा है. परिजन इस बात पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं कि उनका बेटा अब नहीं रहा. मां उसके लिए रोजाना खाना बनाती रहती हैं. उन्होंने कहा, ‘अब ढाई महीने हो गए हैं, लेकिन मैंने अपने बेटे का कंबल नहीं धोया है, क्योंकि मैं अभी भी उसका अपनापन महसूस कर सकती हूं.’ मैतेई प्रथा के अनुसार, दोनों माताएं अंतिम संस्कार होने तक रोजाना अपने बच्चों की तस्वीरों के सामने अगरबत्ती, मोमबत्तियां और भोजन का एक छोटा हिस्सा चढ़ाती हैं. दोनों परिवारों को उम्मीद है कि सीबीआई जांच से उनके बच्चों के शव ढूंढने में मदद मिलेगी और पता चलेगा कि उनकी हत्या क्यों की गईं.
‘शाह ने दिया आश्वासन, पकड़े जाएंगे हत्यारे’
बुधवार को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आश्वासन दिया है कि जिन लोगों ने दोनों स्टूडेंट्स का अपहरण किया और हत्या की है, उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. एजेंसी के विशेष निदेशक अजय भटनागर के नेतृत्व में सीबीआई अधिकारियों की एक टीम बुधवार को मणिपुर पहुंची और घटना की जांच शुरू की. इम्फाल पूर्व और पश्चिम जिलों में बुधवार शाम 4 बजे से अगले आदेश तक कर्फ्यू में छूट रद्द कर दी गई है.