भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को कतर में मौत की सजा सुनाई गई है। कतर ने जासूसी के आरोप में इन अधिकारियों को सजा-ए-मौत दी है। उनकी जमानत याचिकाएं कई बार खारिज की गईं। कतर की एक अदालत ने गुरुवार को सभी आठों को मौत की सजा सुनाई। आदेश आने के बाद दिल्ली में हलचल बढ़ गई है। कतर के इस फैसले के पीछे भारत ने हैरानी जताई। विदेशी मामलों के जानकार कतर के इस फैसले को हमास के साथ जोड़ कर देख रहे हैं। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि इजरायल-हमास जंग में कतर पूरी तरह से हमास के सपोर्ट में है। वहीं आतंक के खिलाफ भारत हमेशा से खड़ा रहा है। 7 अक्टूबर को इजरायल में हुए हमास के हमले का भारत ने पुरजोर विरोध किया, जो हमास के साथ-साथ उसके हमदर्द देश कतर को रास नहीं आया।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि कतर के इस फैसले के पीछे उसकी सोची-समझी साजिश है। इजरायल-हमास के युद्ध में कतर हर मौके को इजरायल के खिलाफ भुनाना चाहता है। ऐसे में भारतीयों की फांसी सजा भी ऐसे मौके पर आई जब भारत ने पूरी दुनिया के आगे हमास का विरोध किया। कतर का दावा है कि कथित तौर पर भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी इजराइल के लिए कतर के गुप्त पनडुब्बी कार्यक्रम के बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे थे। कथित तौर पर वह गुप्त जानकारी इजराइल को सौंपी जा रही थी। यही वजह थी कि कतर ने आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तार किए गए लोगों में एक प्रवासी पूर्णेंदु तिवारी को भी पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द से प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार मिला।
वहीं कतर कोर्ट के आदेश से भारत हैरान है। भारत का आरोप है कि इस मामले में सही तौर स्पष्ट नहीं किया गया कि इन लोगों को किस मामले में जेल में रखा गया है। विदेश मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी एक बयान में कहा गया, “मौत की सजा के आदेश से हम हैरान हैं। हम फैसले की जानकारी का इंतजार कर रहे हैं। हम हिरासत में लिए गए लोगों के परिवारों के साथ संपर्क में हैं। वकीलों के साथ बातचीत भी चल रही है। हम हर चीज पर गौर कर रहे हैं।”
जिन आठ पूर्व नौसेना अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई गई है उनमें कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्रकुमार वर्मा, कानंद सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और सीमैन रागेश शामिल हैं। इनमें से कई ने एक बार भारतीय युद्धपोतों का नेतृत्व किया है। नौसेना के पूर्व अधिकारी डहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम कर रहे थे, जो एक कंपनी है जो कतरी सशस्त्र बलों को प्रशिक्षण सेवाएं प्रदान करती है।
29 मार्च को कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई, आरोप था कि वे कतर में भारत के लिए प्लानिंग कर रहे हैं। गिरफ्तार लोगों के परिवारों का दावा है कि उन्हें मामले के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया है कि उन्हें किस धारा के तहत गिरफ्तार किया गया है, क्या आरोप हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कतर सरकार को भारत से भी कोई मदद नहीं मिली।
इसी साल 6 अप्रैल को भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर बयान जारी किया था। बताया गया है कि गिरफ्तार आठ लोगों को हर तरह की कानूनी सहायता मुहैया करायी जाएगी। इसके बाद उनकी मौत की सजा की खबर सामने आई। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक पिछले साल 30 अगस्त को कतर की जासूसी एजेंसी स्टेट सिक्योरिटी ब्यूरो ने आठ लोगों को गिरफ्तार किया था। यह खबर सितंबर के मध्य में भारतीय दूतावास तक पहुंची। उस वर्ष 30 अक्टूबर को बंदियों को अपने परिवारों से फोन पर बात करने की अनुमति दी गई। 3 अक्टूबर को भारतीय दूतावास के अधिकारियों को आने की इजाजत दी गई।