भाजपा ने यूपी, राजस्थान, गुजरात और दिल्ली समेत कई राज्यों के कुल 195 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। दिल्ली में 4 सांसदों को फिर से मौका नहीं मिला है और यूपी में अभी 29 सीटें रोक कर रखी गई हैं। इसी तरह गुजरात में भी 11, असम में दो और झारखंड में तीन सीटों पर फैसला अभी नहीं हुआ है। मध्य प्रदेश में भी 17, राजस्थान में 10 और यूपी में 29 और बंगाल में 22 सीटों पर अभी ऐलान नहीं हुआ है। अब तक जिन सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान नहीं हुआ है, उनमें 100 से ज्यादा सांसद भी शामिल हैं। ऐसे में इन लोगों की टेंशन बढ़ी हुई है।
यहां तक की गाजियाबाद के सांसद वीके सिंह, सुल्तानपुर की मेनका गांधी और पीलीभीत के वरुण गांधी तक का भविष्य अभी अधर में लटका है। वीके सिंह के नाम पर कोई विवाद नहीं जुड़ा है, लेकिन उम्र 70 से ज्यादा हो गई है। ऐसे में उनके नाम के ऐलान होने से कयास तेज हो गए हैं कि शायद उन्हें दोबारा मौका नहीं मिलेगा। वह भी तब जब पड़ोस की ही नोएडा लोकसभा सीट पर महेश शर्मा को एक बार फिर से मौका मिल चुका है। ऐसे में गाजियाबाद पर फैसला न होने से वीके सिंह की चिंताएं बढ़ गई हैं।
महिला पहलवानों के उत्पीड़न के आरोप झेल रहे कैसरगंज से सांसद बृज भूषण शरण सिंह को लेकर भी अभी कोई फैसला नहीं आया है। भाजपा ने जिस तरह से एक लंबी लिस्ट जारी की है, उसमें ज्यादातर सांसदों को रिपीट किया गया है। ऐसे में जिन लोगों की सीट को होल्ड पर रखा गया है, उससे साफ है कि भाजपा नेतृत्व उन्हें लेकर मंथन कर रहा है। चर्चा यह भी है कि बृजभूषण की जगह उनके बेटे प्रतीक भूषण को मौका मिल सकता है। इस तरह भाजपा एक विवादित चेहरे से अलग हो जाएगी और बृजभूषण के जनाधार को भी बनाए रखने में मदद मिलेगी।
गुजरात और राजस्थान के भाजपा सांसद भी टेंशन में
बरेली के सांसद संतोष गंगवार और बदायूं से संघमित्रा मौर्य को लेकर भी अभी संशय बना हुआ है। बता दें कि यूपी में भाजपा ने गठबंधन की सीट संख्या तय कर ली हैं, लेकिन उन्हें कौन सी सीटें मिलेंगी, इसका ऐलान नहीं हुआ है। ऐसे में बागपत से सत्यपाल सिंह जैसे सांसदों की भी चिंता बनी हुई है। वहीं राजभर को घोसी सीट मिल सकती है। इसी तरह गुजरात और राजस्थान में भी भाजपा के सिटिंग सांसद टेंशन में हैं, जिनकी सीटों पर अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है।