लोकसभा चुनाव के ऐलान से पहले चुनाव आयुक्त अरुण गोयल का इस्तीफा हुआ है. राष्ट्रपति ने भी इस्तीफे को मंजूर कर लिया है. हालांकि पद छोड़ने की वजह साफ नहीं है. कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि अरुण गोयल पंजाब से लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक थे. इसके चलते उन्होंने इस्तीफा दिया है, आने वाले दिनों में वह एक राजनीतिक दल के प्रत्याशी होंगे.
सूत्रों के मुताबिक, हाल-फिलहाल में सीईसी और अरुण गोयल के रिश्तों में खटास नहीं देखी गई. हालांकि नियुक्ति के बाद से अब तक हुई बैठकों में कई मौकों पर विभिन्न मुद्दों पर गोयल की राय सीईसी व अन्य सदस्य से अलग जरूर रही है.
चुनाव आयुक्त की नियुक्त के लिए सरकार ने आगे बढ़ाए कदम
सूत्रों का कहना है कि सरकार ने हाल में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए खोज समिति के नामों पर विवेचना शुरू की है. प्रधानमंत्री, सदस्य के रूप में लोकसभा में विपक्ष का नेता या सबसे बड़े दल का नेता और नामित कैबिनेट मंत्री द्वारा चुनाव आयुक्त की नियुक्ति जल्द की जाएगी.
अरुण गोयल पश्चिम बंगाल में दो दिवसीय दौरे के बाद आयोग द्वारा आयोजित प्रेस वार्ता में शामिल नहीं हुए थे. आयोग ने प्रेस वार्ता में आधिकारिक तौर पर उनके स्वास्थ्य कारणों के चलते प्रेस वार्ता में शामिल ना होना स्पष्ट किया था. सूत्र बताते हैं कि अरुण गोयल ने चुनाव आयुक्त पद से इस्तीफे में निजीकरण का जिक्र किया है. आयोग के अधिकारी उनके इस्तीफे से अचंभित हैं, जबकि सीईसी आवाक हैं.
लोकसभा चुनाव की घोषणा में नहीं है कोई अड़चन
इस बीच सवाल उठने लगे हैं कि क्या अरुण गोयल के इस्तीफे से लोकसभा चुनाव की घोषणा में कोई अड़चन आएगी? दरअसल, चुनाव आयुक्त पद से अचानक अरुण गोयल के हटने के बाद निर्वाचन आयोग में एकल मुख्य सदस्य सीईसी यानी मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार शेष हैं.
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार अकेले भी लोकसभा चुनाव की घोषणा करने में सक्षम हैं. कोई कानूनी या संवैधानिक अड़चन नहीं है. संविधान का अनुच्छेद 324 चुनाव आयोग के एकल सदस्य के प्रदर्शन यानी कार्य करने की अनुमति देता है. इसमें कहा गया है कि चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त, यदि कोई हों, जितनी संख्या राष्ट्रपति समय-समय पर तय कर सकते हैं, जो आयोग में शामिल होंगे.
साल 1993 के बाद से चुनाव आयोग कभी भी एकल सदस्यीय निकाय नहीं रहा है. अरुण गोयल ने अपना इस्तीफा सीधे राष्ट्रपति को भेजा. उसकी प्रति भी मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार को नहीं प्रेषित की गई. हालांकि चुनाव आयुक्त पद पर नियुक्ति या उसे छोड़ने में सीईसी की भूमिका नहीं रहती है, ऐसे में यह जरूरी नहीं कि पद छोड़ते वक्त कोई चुनाव आयुक्त अपने इस्तीफे की प्रति या सूचना सीईसी को दे.