जयपुर। राजस्थान में गुर्जरों ने एक बार फिर फिर राज्य में नई सरकार के आने के बाद ही गुर्जर आरक्षण की मांग कर गहलोत सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है. गुर्जरों ने राज्य सरकार को लोकसभा चुनावों से पहले समाज को 5 फीसदी आरक्षण देने की मांग की है. मांग नहीं माने जाने पर सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की चेतावनी भी दी है. जयपुर में शनिवार को एक बैठक के दौरान यह मांग सरकार के सामने रखी.
इसके अलावा गुर्जर आंदोलन के मुखिया किरोडी सिंह बैंसला ने पहली बार गुर्जरों के साथ साथ गाडियां लुहार की सुध लेने की भी गुहार लगाई है. बैंसला ने कहा है कि गुर्जरों के अलावा गाडियां लुहारों के भी प्रतिनिधि भी विधानसभा में होने चाहिए. उन्होंने कहा कि गाडियां लुहारों को भी सरकार नौकरी और रोजगार राज्य सरकार उपलब्ध कराए.
जयपुर में हो रहे इस बैठक के दौरान गुर्जर समाज के प्रतिनिधियों भी मौजूद थे. प्रदेशभर से आए गुर्जर नेताओं से उन्होंने आरक्षण को लेकर आगे की रणनीति के बाबत चर्चा भी की. इस चर्चा में इस बार गुर्जरों के साथ साथ गाडियां लुहारों का मुद्दा भी बैठक में शामिल रहा. बैठक के दौरान मौजूद गाडियां लुहारों को बैंसला ने साफ तौर पर कहा कि इन्हें भी राज्य सरकार नौकरी के अवसर दे.
उन्होंने यह भी कहा कि जब किसानों का कर्ज माफ हो सकता है तो गाडियां लुहारों के हर एक घर में नौकरी क्यो नहीं मिल सकती. उन्होंने अपने 5 प्रतिशत आरक्षण के मुद्दे पर भी साफ कर दिया कि सरकार ने अपने घोषणा पत्र में गुर्जरों को आरक्षण देने की बात कही थी. अगर सरकार लोकसभा चुनाव से पहले आरक्षण नहीं देती है तो आंदोलन की नए सिरे से रूपरेखा तैयार की जाएगी.
बैठक के दौरान मौजूद गुर्जर नेता शैलेंद्र सिंह ने कहा कि न्यायिक सेवा में 1 फीसदी आरक्षण के निर्णय की सराहना की. उन्होंने ये भी कहा कि “गुर्जरों को मिलने वाली देवनारायण योजना की स्थिति को भी सरकार स्पष्ट करे. क्योंकि अभी तक इस योजना का लाभ समाज के छात्र छात्राओं को नहीं मिल पा रहा है.”
राज्य में गहलोत सरकार के आने के तुरंत बाद गुर्जर नेता एक्शन मोड में नजर आ रहे है. राज्य में 11 साल से जारी आरक्षण आंदोलन की लडाई अभी खत्म नहीं हुई है . अब देखना यह होगा कि कब तक गहलोत सरकार इस चुनौती से कैसे निपट पाएगी.