गलवान घाटी में भारत-चीन सेना के बीच जो झड़प हुई, उस पर भारत ने अपनी ओर से वास्तविक स्थिति को सबके सामने पेश कर दिया। लेकिन चीन को देखकर ऐसा लग रहा है कि वो किसी कीमत पर इस बात का खुलासा होने देना नहीं चाहता कि आखिर उस रात कितने चीनी फौजी मारे गए। शायद इसी कारण से उसने अपने फौजियों को अंतिम सम्मान तक देना भी जरूरी नहीं समझा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी सरकार ने कथिततौर पर एक सख्त आदेश जारी किया है। ये आदेश उन फौजियों के परिवारवालों के लिए है, जिनकी उस रात झड़प में मौतें हुई। इस आदेश के तहत परिजनों को निर्देश दिए गए है कि वे पीएलए सैनिकों के लिए कोई सार्वजनिक अंतिम समारोह आयोजित नहीं करेंगे। क्योंकि, इससे मुमकिन है कि चीन के वास्तविक नुकसान का दुनिया को पता चल जाए।
दरअसल, रिपोर्ट बताती हैं कि चीन नहीं चाहता कि दुनिया ये बात जाने कि भारतीय सैनिकों से झड़प के बाद उस रात कितने फौजी मारे गए। कुल मिलाकर वो दुनिया के सामने अपनी एक सशक्त छवि प्रस्तुत करना चाहता है। इसलिए चीन की सिविल अफेयर मंत्रालय ने परिवार वालों को ये निर्देश दिए कि गलवान घाटी में हुई झड़प पर मारे गए सैनिकों को पारंपरिक तरह से न दफनाया जाए। इसके बजाय सैनिकों का शांति से अंतिम संस्कार हो।
सूत्र तो चीन के इस कदम पर ये भी बताते हैं कि वास्तविकता में वो (चीन) सैनिकों को शहीद नहीं बनाना चाहते। इसलिए उन्होंने उन कार्यों पर भी प्रतिबंध लगा दिया। जहाँ परिजन व मित्रगण एक जगह एकत्रित होकर वीरगति प्राप्त जवानों को सम्मान अदा कर सकें।
गौरतलब है कि चीन का ये प्रयास जनस्मृतियों से गलवान घाटी में हुए अपने नुकसान को मिटाना है। विशेषज्ञ कहते हैं कि चीन को डर है कि अगर सैनिकों की कब्र बनी तो ये बात चीनी सोशल मीडिया और वैश्विक सोशल मीडिया पर फैल जाएगी। बता दें चीन ने अभी LAC पर झड़प में हताहत हुए सैनिकों की सही संख्या को नहीं स्पष्ट बताया है। उसने कुछ गिनती जरूर बताई है। लेकिन भारतीय खूफिया एजेंसी का कहना है कि दूसरी ओर से लगभग 43 सैनिक हताहत हुए हैं। वहीं अमेरिका की एजेंसी ने भी दावा किया है कि गलवान झड़प में 35 चीनी सैनिक मारे गए।